साथियों मशहूर फिल्मकार जे.पी.दत्ता अपनी युध्द फिल्मों के लिए जाने जाते है. गुलामी,बंटवारा,हथियार,उमराव जान ,जैसी फिल्मों के साथ साथ उनकी बार्डर, एल ओ सी कारगील,पलटन जैसी युध्द फिल्मों ने उनको अलग ही पहचान दिलाई है.उनकी गुलामी, रिफ्यूजी फिल्मों मे भी उनका कोई न कोई सेना से संबंधित पात्र खास भुमिकाओं मे नजर आते है.जे.पी.दत्ता के भाई दिपक दत्ता भारतीय वायुसेना मे पायलट थे जिनकी 1987 मे एक मिग विमान दुर्घटना मे मृत्यु हो गई थी.इस कारण सेना के जीवन और उससे जुडी कई कहानियों से वो परिचित थे.
मगर जे.पी.दत्ता का युध्द फिल्मों से नाता उनकी पहली फिल्म ‘सरहद’ से ही प्रारंभ हो गया था. जे.पी.दत्ता ने अपने कैरियर की शुरुआत रणधीर कपूर के सहायक के रूप मे की थी.1976 मे उन्होंने अपनी पहली फिल्म निर्माता आई.ए.नाडियादवाला के साथ ‘सरहद’ की घोषणा की .फिल्म मे विनोद खन्ना, मिथुन चक्रवर्ती, नविन निश्चल,बिंदिया गोस्वामी, प्राण और स्मिता पाटिल प्रमुख भुमिका मे थे.खबरों के अनुसार ये मिथुन,स्मिता, नसीरुद्दीन शाह और ओम पुरी जैसे कलाकारों की पहली फिल्म होती.
फिल्म की कहानी बचपन में अलग हुए दो मित्रों की थी
जो युद्धभूमि पर एक दुसरे के खिलाफ खडे है. 1971 के युध्द मे काफी भारतीय सैनीक युध्दबंदी हुए थे.सरकार के प्रयासों के बावजूद कुछ सैनिक भारत नहीं लौट पाये और पाकिस्तानी जेलों मे तडपते रहे.फिल्म की कहानी इन को केंद्र मे रखकर बुनी गई थी.
कुछ फिल्मांकन के बाद जे.पी.दत्ता के काम की चर्चा होने लगी. शायर साहिर लुधियानवी ने अपनी ऐसी रचना जे पी.को दी जो वो केवल किसी संवेदनशील फिल्मकार को देना चाहते थे.मगर निर्माता और निर्देशक मे रचनात्मक मतभेद होने लगे.अपने दृढ रवैये के लिए प्रसिध्द जे.पी.दत्ता ने झुकने से इनकार किया. निर्माता वित्तिय संकट मे पड गये. जब तक मामले सुलझते विनोद खन्ना सन्यास लेकर रजनिश आश्रम अमेरिका चले गये. और फिल्म बंद हो गई.फिल्म ने जे.पी.दत्ता को बिंदिया गोस्वामी से मिलवाया जो बाद मे उनकी जीवन संगिनी बनी.जे.पी.दत्ता को अपनी पहली रिलिज ‘गुलामी ‘ के लिए नौ वर्ष का इंतजार करना पडा.
सन 2018 मे जे.पी.दत्ता ने फिल्म को नये सिरे से बनाने की स़भावना जताई थी.कहीं पढा था की फिल्म के दो नायाब गीत ,जीन्हें लताजी ने स्वर दिया था,के अधिकार भी जे.पी.के पास है.काश वो गीत ही हमतक पहुंच सके.