हिंदी फिल्म निर्माता,निर्देशक और लेखक अंग्रेजी फिल्मों से सदैव प्रेरणा लेते आये है. प्रेरणा और नकल मे एक हल्की-सी रेखा है जीसे लांघकर प्रेरित फिल्म पुरी नकल बन जाती है.ऐसी फिल्मों के अनेक उदाहरण दिये जा सकते है.
हिंदी फिल्म इतिहास मे लम्बे समय तक अपना योगदान देनेवाली संस्थाओं मे बी.आर.फिल्मस् प्रमुख है.बी.आर.चोपड़ा के सुपुत्र स्वर्गिय रवि चोपड़ा की जमीर, द बर्निंग ट्रेन,तुम्हारी कसम,मजदूर, आज की आवाज,दहलीज, कल की आवाज, प्रतिज्ञाबध्द,बागबान, बागबान और महाभारत जैसे धारावाहिक का निर्देशन कर चुके थे.
रवि चोप्रा जी ने गोविंदा, लारा दत्ता,तब्बु, आशिष चौधरी,राजपाल यादव,जाकिर हुसैन,बोमन इरानी,सतीश शाह इत्यादि कलाकारों को देकर ‘ बंदा ये बिंदास है’ फिल्म बनाने की घोषणा की.फिल्म अमेरिकी फिल्म माय कजिन विनी से प्रेरित थी.बी.आर.फिल्मस् के अनुसार उन्होंने मुल फिल्म निर्माता से इसकी अनुमति ली थी.
मुल फिल्म की कहानी न्युयार्क मे पढ़ने वाले दो कालेज युवा बिली और स्टेन्सकी है जो अल्बामा के देहाती इलाके मे एक दुकानदार के कत्ल के जुर्म मे फंस जाते है. अपने बचाव के लिए वो अपने कजिन वकिल विनी की मदद लेते है.जो पांच असफल प्रयासों के बाद वकील बना है.वो अदालत के तौर तरीकों,लिबास के नियम,अपनी बात रखने के सलिके से अंजान हैऔर बार बार जज द्वारा अदालत की अवमानना के लिए टोका जाता है. अपनी कमजोरियों जज की बार बार की रोक टोक ,सरकारी वकिल से नोंकझोंक और गवाहों से मजेदार जिरह अपने कजिन और उसके मित्र के उसकी क्षमताओं पर अविश्वास, प्रेयसी से बहस इत्यादि परिस्थितियों से गुजरते हुए अपना मुकदमा जीतने मे कामयाब होता है.
इस मनोरंजक कहानी को लेकर फिल्म बनाने के बाद रिलिज से पुर्व मुल फिल्म के अधिकारिक स्वामित्व वाली कंपनी ट्वेंटीथ सेंचुरी फॉक्स ने मुकदमा दर्जकर सात करोड रुपए हर्जाने की मांग की.इस प्रकार कानुनी विवाद मे फंसकर फिल्म रिलिज नहीं हो पाई. फॉक्स बाद मे $200,000 की रकम के साथ सुलह केलिए तैयार हो गया.कुछ समय के अंतराल के बाद विवाद के समाधान और फिल्म के रिलिज की खबरें आती रही है मगर फिल्म अबतक रिलिज नहीं हो पाई.इसी मध्य 2014 मे रवि चोप्रा जी का देहांत हो गया.
इस घटना से सबक लेते हुए अब निर्माताओं ने प्रेरित फिल्म बनाने की जगह फिल्म की कथा के अधिकार विदेशी निर्माताओं से कानूनी रुप से खरीदने के बाद ही फिल्म निर्माण का रास्ता अपनाया है.