यादें अधूरी फिल्मों की (28)
भारतीय समाज मे पुत्र होना महत्वपूर्ण समझा जाता रहा है.पुत्र मोह मे अनेक संतानों का जन्म, भ्रुण हत्या,स्री को ही इस के लिए जिम्मेदार मानना जैसी घटनाओं को भी हम भुतकाल मे पढते,जानते रहे है.हमारी कथा का नायक भी अपनी मां के पुत्र मोह के कारण अपनी बेटी को मित्र के बेटे से बदल देता है.इस अदला बदली के कारण हास्य और करुण प्रसंग जन्म लेते है.
फिल्म प्रेमी इस कहानी से फिल्म ‘ बेटी नंबर वन’ को याद कर रहे होंगे मगर ये कहानी फिल्म ‘ चिराग’ की थी.निर्माता राजीव कुमार और निर्देशक टी.रामाराव ने ऋषि कपूर,मोहिनी,जानी लिवर,मोहनिश बहल,सतिश कौशिक और अरूणा इरानी को लेकर 1997 मे फिल्म ‘चिराग’ बनाई.फिल्म मे राजेश रोशन ने आनंद बक्षी के गीतों को संगीत दिया था. फिल्म का संगीत रिलीज कर दिया गया था.फिल्म पुरी होने के बाद भी प्रदर्शित नहीं हुई क्योंकि तब तक ऋषि कपूर की मुख्य नायक के रुप मे मांग खत्म हो चुकी थी और कोई वितरक इसे खरीदने आगे नहीं आया.
राजीव कुमार ने फिल्म को नये कलाकारों के साथ फिल्म फिर से बनाने का निर्णय लिया. गोविंदा और रंभा को लेकर फिल्म ‘ बेटी नंबर वन’ शिर्षक से बनी.शायद पुरानी फिल्म के कुछ हिस्सों का भी प्रयोग किया गया. इस बार संगीतकार विजू शाह ने गीत बनाए. फिल्म बाक्स आफिस पर खास कमाल नहीं दिखा सकी.
‘चिराग’ फिल्म का एक गीत’ दिल ने कहा दिल ने सुना’ जो महिला स्वर मे था,लगभग इसी धुन और बोल के साथ पुरुष स्वर मे फिल्म ‘ जंग’ मे नजर आया.जंग का निर्माण भी इसी बैनर ने किया था मगर इस बार संगीत का श्रेय नदिम श्रवण को दिया गया.