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अधूरी फिल्मों की अधूरी कहानी (50):गुरु दत्त की महत्वाकांक्षी फ़िल्म राज बन नहीं पायी

अधूरी फिल्मों को याद करती इस श्रृंखला के पचासवीं कडी मे आज याद करते है गुरुदत्त की फिल्म ‘राज’ को.अपनी कालजयी फिल्मों से भारत ही नहीं विश्व सीनेमा मे भी अपनी विशेष छाप छोडी है.प्यासा,कागज के फूल,साहिब बिबी और गुलाम,चौदहवी का चांद को भला कौन भुल सकता है. गुरु दत्त अपनी अधूरी फिल्मों के लिए भी जाने जाते है. उनमे एक बेचैन फिल्मकार था जो सदा अपनी फिल्मों से असंतुष्ट रहता था. इसी बेचैनी मे उनकी कई फिल्मे विभिन्न चरणों पर अधूरी छोड दी गई.

इन फिल्मों मे एक थी ‘राज’.गुरू दत्त द्वारा निर्मित इस फिल्म को उनके सहायक निरंजन निर्देशित कर रहे थे.फिल्म मे वहिदा रहमान दोहरी भुमिका मे थी.नायक के रुप मे पहले सुनिल दत्त को लिया गया था मगर कुछ दिनों मे ही फिल्म रोक दी गई. दोबारा प्रारंभ करने पर गुरुदत्त स्वयं नायक बन गये.अन्य कलाकारों मे कुमकुम और एस.नजीर थे.विल्कि कोलिन्स के मशहूर उपन्यास

‘द वुमन इन व्हाइट ‘ पर आधारित इस फिल्म मे गुरु दत्त एक सैन्य डाक्टर बने थे.

फिल्म का कुछ हिस्सा शिमला की बर्फ से ढकी वादियों में फिल्माया गया था.फिल्म की विशेषता युवा संगीतकार राहुल देव बर्मन को संगीत की जिम्मेदारी सौपना था.अगर पूरी हो जाती तो यह उनकी पहली फिल्म होती.इस फगिल्म के लिए उन्होंने गीता दत्त, शमशाद बेगम और आशा भोंसले की आवाजों मे रिकार्ड किया था.अनुमान है की एक गीत गीता दत्त और हेमंत कुमार ने भी गाया था.

लगभग पांच छह रील की शुटिंग होने के बाद गुरु दत्त फिल्म से असंतुष्ट रहे और उन्होंने फिल्म बंद कर दी.इससे पुर्व राज और चौदहवी का चांद की जानकारी कागज के फूल फिल्म की बुकलेट ( फिल्म का सार ,गीत ,क्रेडिटस् की जानकारी देती पुस्तिका) पर प्रकाशित की गई थी.

इस फिल्म के बंद हो जाने पर गुरुदत्त के पुर्व सहायक राज खोसला ने इसी कहानी को कुछ परिवर्तन के साथ ‘वो कौन थी?’ के रुप मे बनाया. मनोज कुमार और साधना अभिनित यह फिल्म संगीतमय रहस्य फिल्मों की श्रेणी मे क्लासिक का दर्जा रखती है.

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