इस श्रृंखला मे आज प्रस्तुत है अप्रदर्शित फिल्म ‘पांच’ से जुडी कुछ बातें।
यह फिल्म लेखक,निर्देशक अनुराग कश्यप का पहला निर्देशन प्रयास था.पद्मिनी कोल्हापूरे द्वारा प्रस्तुत इस फिल्म का निर्माण उनके पति टुटु शर्मा ने जयदेव बैनर्जी के साथ मिलकर किया गया था।
फिल्म की कहानी स्वयं को बर्बादी की राह पर ले जाते चार युवकों ल्यूक मोरिसन( के के मेनन),मुर्गी( आदित्य श्रीवास्तव) ,जौय ( जौय फर्नांडिस) और पौंडी( विजय मौर्या) की है जो अपनी पांचवी साथी शिउली ( तेजस्विनी कोल्हापूरे) एक बैण्ड चलाते है. ल्युक इस समुह का अघोषित नायक है ज अपने कफल्लक साथियों को खाना,शराब,ड्रग्स ,निवास आदी सहायता करता है।
पौण्डी शिउली की ओर आकर्षित है,शिउली पैसों खातिर अमिर व्यक्तियों के साथ सोने से परहेज नहीं. चारों मित्र अपने एक अन्य मित्र निखिल ( पंकज सारस्वत) के अपहरण की योजना बनाते है.निखिल स्वयं भी इस अपराध का हिस्सा है और अपने धनी मगर कंजूस पिता से रकम उगाहना चाहता है. ड्र्ग्स और गुस्से की अधिकता मेक्षल्यूक के हाथों निखिल की हत्या हो जाती है. ल्यूक अपने साथियों को ब्लैकमेल कर उसके साथ जुडे रहने पुलिस को कुछ न बताने के लिए बाध्य करता है।
बदलती स्थितियां शिउली को भी इस कांड मे खिंच लाती है.निखिल के पिता और पुलिस अधिकारी की भी ये लोग हत्या कर देते है.धोखा और प्रतिधोखा का खेल अप्रत्याशित अंत की ओर ले जाता है. फिल्म का संगीत विशाल भारद्वाज का और गीत अब्बास टायरवाला के थे. विजय राज और अभिनव कश्यप सहायक किरदारों मे थे।
यह फिल्म 1976 मे पूना मे हूए जोशी अभ्यंकर हत्याकांड की आधार बनाकर बनाई गयी थी. इसी कांड पर पहले ‘माफीचा साक्षीदार’ नामक मराठी फिल्म 1986 मे आई थी. फिल्म मे नाना पाटेकर ने मुख्य भुमिका मे नजर आते है. फिल्म का हिंदी डब वर्जन “फांसी का फंदा” नाम से आया था।
‘पांच ‘ को अत्याधिक हिंसा, गाली गलौच वाले संवाद और बुरे प्रभाव के कारण दो बार सेंसर ने पास करने से इनकार कर दिया.अंत मे काफी कटस् के साथ सेंसर प्रमाणपत्र मिला मगर आर्थिक समस्याओं क चलते फिल्म रिलिज नहीं हो सकी. कुछ समारोह मे यह फिल्म दिखाई गई. अनधिकृत रूप से टोरंट वेबसाइट पर नजर आई