कुछ प्रेम कहानियां किंवदंतियों के रुप मे हमारे मानस से जुड गई है. लैला मजनू़,सोहनी महिवाल,हिर रांझणा की कहानियां सभी दर्शकों पता है और ये अपने अपने ढंग से अलग अलग फिल्मकारों द्धारा प्रस्तुत की जाती रही है.
सोहनी महिवाल शीर्षक से अबतक चार फिल्मे बन चुकी है.1933 मे भीम और गोहर जान,1946 मे ईश्वरलाल और बेगमपारा,1958 मे भारत भुषण और निम्मी,1984 मे सनी देओल और पुनम ढिल्लों सोहनी महिवाल की दुखांत प्रेमकथा को फिल्मी परदेपर पेश कर चुके है.
मगर एक ‘सोहनी महिवाल ‘ सत्तर के दशक मे पंजाबी भाषा मे भी बन रही थी .तत्कालिन मुख्यमंत्री ज्ञानी जैलसिंह पंजाब मे मनोरंजन और फिल्म निर्माण की गतिविधियों को बढावा देना चाहते थे.इसलिए पंजाब मे फिल्माई जानेवाली फिल्मों को विशेष सुविधाएं देने की पेशकश भी की गई थी.
प्रमुख फिल्म निर्माता और निर्देशक बी.आर.चोपड़ा जो पंजाब सरकार फिल्म संगठन से जुड़े थे उन्हे यह प्रस्ताव पसंद आया. उन दिनों वे राजेश खन्ना, शबाना आजमी और विद्या सिन्हा अभिनीत फिल्म ‘कर्म ‘ की शुटिंग चंदिगढ में कर रहे थे और वहां की सुंदरता और सुविधाओं से प्रभावित थे.उन्होंने राजेश खन्ना और नितु सिंह को लेकर पंजाबी भाषा मे’सोहनी महिवाल ‘ बनाने की घोषणा की.राजेश खन्ना और नितु सिंह उन दिनों पंजाबी फिल्म ‘सवा लाख से एक लडाउं’ मे विशेष भुमिका नीभा चुके थे.एस.एस.ब्रोका फिल्म से निर्माता के रुपमे जुडे.फिल्म मे आनंद बक्षी के गीतों को खय्याम संगीत दे रहे थे.मशहूर लेखक, फिल्मकार राजेंद्र सिंह बेदी संवाद लेखक का जिम्मा संभाल रहे थे.
मुुख्यमंत्री ज्ञानी जैलसिंह के करकमलों से फिल्म का मुहुर्त जोर शोर से हुआ. सुखना लेक परिसर मे लगभग एक सप्ताह की शुटिंग भी हुई. मुंबई लौटने के बाद चोप्रा जी ”कर्म ” को अंतिम रुप देने मे व्यस्त हो गये.फिल्म रिलिज होने पर असफल रही.राजेश खन्नाके सितारे उन दिनों गर्दिश मे थे. ‘कर्म ‘ के न चलने का नुकसान ‘सोहनी महिवाल ‘ को उठाना पडा और फिल्म आगे प्रगति नहीं कर पाई.