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कहानी अधूरी फिल्मों की(14)-बिमल रॉय से प्रभावित गुलज़ार ने भी देवदास बनाने का सपना देखा जो पूरा नही हो सका ।


प्रसिध्द लेखक शरतचंद्र चट्टोपाध्याय की अमर कलाकृति ‘ देवदास’ हमेशा से ही फिल्मकारों को आकर्षित करती आई है. इस पर आधारित कई फिल्मे सिनेमा के प्रारंभिक काल से बनती और दर्शकों को पसंद आती रही है. देवदास को लेकर भारत की विभिन्न भाषाओं के अलावा पाकिस्तान और बांगला देश मे भी फिल्में बन चुकी है.कुछ आधुनिक संस्करण भी आ चुके है.


के.एल.सहगल,दिलीप कुमार ,शाहरुख खान समेत कई कलाकारों ने देवदास के किरदार को अपने अपने रंग मे प्रस्तुत किया है.बिमलदा से प्रभावित गुलज़ार साहब ने भी देवदास बनाने का सपना देखा.देवदास की भुमिका धर्मेंद्र निभाने वाले थे.हेमा मालिनी पारो और शर्मिला टैगोर चंद्रमुखी की भुमिका करने वाली थी. अपनी नृत्यकला के लिए प्रसिध्द हेमा मालिनी को पारो और नर्तकी चंद्रमुखी के रुप मे शर्मिला टैगोर को सौंपकर गुलज़ार ने सभी को चौका दिया था.प्रेम चोपडा चुन्नीलाल के रुप मे नजर आनेवाले थे.दिना पाठक भी अनुबंधित थी.


गुलज़ार और उनके चहेते संगीतकार राहुल देव बर्मन संगीत का जादू बिखेरते.फिल्म का निर्माण प्रेम चोपडा के भाई कैलाश चोपड़ा करने वाले थे. मगर आर्थिक कारणों से फिल्म का निर्माण रुक गया. दिलीप कुमार के बडे प्रशंसक धर्मेंद्र इस फिल्म के लिए बेहद उत्साहित थे.कुछ समय पहले उन्होंने फिल्म के अधूरी रहने पर अफसोस जताते हुए पोस्ट की थी.
इस फिल्म का एक मधूर गीत उपलब्ध है.यू ट्यूब लिंक कमेंट्स मे दिया है.अवश्य सुनिए और आनंद लिजिए.

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