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कहानी अधूरी फिल्मों की(17)-आज प्रस्तुत है बना पाटेकर चंकी पांडेय और मीनाक्षी शेशद्री अभिनीत अप्रदर्शित फिल्म ‘ तडप ‘ की जानकारी.


साथियों आज श्रृंखला की इस कडी मे प्रस्तुत है अप्रदर्शित फिल्म ‘ तडप ‘ की जानकारी.


निर्माता निर्देशक सोहनलाल कंवर ने अपनी फिल्म निर्माण संस्था ‘फिल्मनगर’ के बैनर तले कई मनोरंजक फिल्मे बनाई है. बेईमान, पहचान, सन्यासी,आवाराबाप,सीमा,दुनियादारी,स्वार्थी,आत्माराम,दो झुठ,पैसा ये पैसा,पापी पेट का सवाल है और धनवान जैसी फिल्मे बनाने वाले सोहनलाल कंवर ने 1988 मे फिल्म तडप बनाने की घोषणा की.नाना पाटेकर,सुजाता मेहता,मिनाक्षी शेषाद्रि और चंकी पाडे फिल्म मे प्रमुख भुमिकाओं में नजर आनेवाले थे.फिल्म की कथा पटकथा राम केलकर एवं संवाद डॉ. राही मासूम रजा ने लिखे थे.
ये फिल्म एक डाक्टर चेतना की कहानी है जो एक व्यक्ति के कार से कुचले जाने की चश्मदीद है.वो घायल का इलाज कर जब पुलिस तक पहुंचती है तो पुलिस सहयोग नहीं करती.दरअसल वो कार शहर के कुख्यात डॉन नागपाल की है.उसके पैसे लेकर अपना मुंह बंद रखने से इनकार के बाद नागपाल चेतना का दुश्मन बन जाता है.नागपाल से टक्कर लेने के लिए चेतना एक गुंडे प्रकाश की सहायता लेती है.प्रकाश की अच्छाई से प्रभावित चेतना उसे सही राह पर लाने का प्रयास करती है.प्रकाश इसे प्यार समझ लेता है और अपनी विवाह प्रस्ताव लेकर चेतना के घर भेजता है जहां उसे अपमानित किया जाता है.प्रकाश से फिर कभी न मिलने का वचन लेकर चेतना अपने परिवार द्वारा पसंद किये युवक से विवाह करती है. मगर एक रात जब पती पत्नी की कार पर नागपाल के साथी हमला करते है तो पती भाग जाता है.अपहृत चेतना के साथ क्या होता है?
प्रकाश उसे बचा पाता है? इत्यादि प्रश्नों के जवाब फिल्म के क्लायमेक्स मे मिलते है.
इस फिल्म मे राहुल देव बर्मन का संगीत था.गीत टी सिरिज के कैसेटस पर रिलिज हुए थे.तडप ऐसी भी होती है,जीसे प्यार जमाना कहता है जैसे गीत लोकप्रिय हुए थे.
फिल्म पुरी हो चुकी थी .पोस्टर्स भी सिनेमाघरों मे लग गए थे. मगर सोहनलाल कंवर की मृत्यु हो गई और उनकी दो पत्नियों के बिच कानूनी विवाद के चलते फिल्म रिलिज नहीं हो पाई.

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