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कहानी अधूरी फिल्मों की (47)’नीला आसमान’ किशोर कुमार अति महत्वाकांक्षी फ़िल्म थी लेकिन वो बन नहीं पायी


हरफन मौला किशोर कुमार गायकी और अदाकारी के अलावा फिल्म निर्माण, निर्देशन,लेखन,संगीत,गीत लेखन इत्यादि मे भी हाथ आजमा चुके है.सभी क्षेत्रों मे उन्होंने बता दिया है की उनमे इन सभी क्षेत्रों मे अपनी छाप छोडने की क्षमता हैं.
किशोर कुमार अपनी प्रतिभा के साथ साथ अपने अनिश्चित व्यवहार के लिए भी जाने जाते रहे है.यही अनिश्चितता उनके द्वारा बनाई फिल्मों मे भी नजर आती है कभी वे चलती का नाम गाडी जैसी कामेडी,कभी स्वयंही फिल्म दर्शकों को चेतावनी देती अटपटी बढती का नाम दाढी, कभी अपना ही मजाक बनाती शाबाश डैडी बनाते नजर आते है.इन सबसे अलग संजिदा दुर गगन की छांव मे,दूर का राही,दूर वादियों जैसी स्वयं की खोज मे छटपटाते व्यक्ति की झलक देती है.
उनकी इस बेचैनी ने कुछ अधूरी फिल्में भी छोडी है.इनमे एक थी ‘नीला आसमान’.फणी मजूमदार के निर्देशन मे बन रही इस फिल्म मे उनका साथ मधुबाला दे रही थी.ये कहानी एक जहाज के टुट जानेपर एक निर्जन टापू पर फंसे दो व्यक्तियों की थी.ये व्यक्ति थे एक साधू और एक सौंदर्य साम्राज्ञी ( A priest and a beauty queen)
मधुबाला की अस्वस्थता के चलते फिल्म ज्यादा प्रगति नहीं कर पाई. इस फिल्म मे किशोर कुमार स्वयं संगीत दे रहे थे.
किशोर कुमार अक्सर भीड मे अकेलेपन की, लौट अपने गांव खंडवा जाने की इच्छा जताते नजर आते है.उनके इस अकेलेपन को फिल्म ‘नीला आसमान ‘के लिए बनाया उनका गीत अभिव्यक्ति देता है.

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