Homeफ़िल्मी कलाकारों से जुड़े कुछ अनजाने तथ्यहेमंत कुमार के बारे में कुछ कम ज्ञात तथ्य

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हेमंत कुमार के बारे में कुछ कम ज्ञात तथ्य

हेमंत कुमार एक युवा संगीत प्रेमी से एक प्रसिद्ध पार्श्व गायक, संगीतकार और बहुमुखी कलाकार थे।यहां उन के बारे में कुछ कम ज्ञात तथ्य हैं:

  1. जन्म नाम और मूल: हेमंत कुमार का जन्म 16 जून 1920 को वाराणसी, भारत में हेमंत मुखर्जी के रूप में हुआ था। बाद में उन्होंने अपने संगीत करियर के लिए मंच नाम “हेमंत कुमार” अपनाया।
  2. संगीत से शुरुआती परिचय:हेमंत कुमार के परिवार का संगीत से गहरा नाता था। उनके पिता, डॉ. हिमांग्शु कुमार मुखर्जी, बंगाली गीतों के प्रसिद्ध गायक और संगीतकार थे। संगीत के इस शुरुआती अनुभव ने हेमंत कुमार की संगीत यात्रा को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  3. एक प्रशिक्षित आवाज़: हेमंत कुमार ने छोटी उम्र से ही शास्त्रीय संगीत और रवीन्द्र संगीत में औपचारिक प्रशिक्षण प्राप्त किया। उन्होंने उस्ताद फैयाज खान और उस्ताद आफताबुद्दीन खान जैसे दिग्गजों से सीखा।
  4. मुंबई प्रवास: संगीत में अपना करियर बनाने के लिए हेमंत कुमार 1930 के दशक में मुंबई चले गए। प्रारंभ में, उद्योग में अपना पैर जमाने से पहले उन्हें संघर्षों का सामना करना पड़ा और कठिन परिस्थितियों में रहना पड़ा।
  5. संगीतकार के रूप में पदार्पण:हेमंत कुमार मुख्य रूप से एक पार्श्व गायक के रूप में जाने जाते हैं, लेकिन उन्होंने संगीतकार के रूप में भी अपनी पहचान बनाई। उन्होंने संगीत निर्देशक के रूप में अपनी शुरुआत फिल्म “आनंद मठ” (1952) से की, जिसमें प्रसिद्ध देशभक्ति गीत “वंदे मातरम” था।
  6. प्रभावशाली पार्श्वगायक:हेमंत कुमार की विशिष्ट और भावपूर्ण आवाज़ ने उन्हें हिंदी सिनेमा के स्वर्ण युग में एक प्रमुख पार्श्वगायक बना दिया। उनके गीतों में अक्सर उदासी और गहराई का स्पर्श होता था।
  7. एस.डी. के साथ सहयोग बर्मन:हेमंत कुमार ने संगीतकार एस.डी. के साथ घनिष्ठ संगीत सहयोग साझा किया। बर्मन. उन्होंने एक जादुई संगीतमय तालमेल बनाते हुए कई हिट गानों और फिल्मों में एक साथ काम किया।
  8. भाषा बहुमुखी प्रतिभा: हेमंत कुमार हिंदी, बंगाली और अन्य क्षेत्रीय भाषाओं सहित कई भाषाओं में पारंगत थे। उन्होंने अपनी भाषाई बहुमुखी प्रतिभा का प्रदर्शन करते हुए विभिन्न भाषाओं और शैलियों में गाना गाया।
  9. संगीत निर्देशन और फिल्म निर्माण:हेमंत कुमार ने कई बंगाली फिल्मों के लिए संगीत तैयार किया और अपनी प्रोडक्शन कंपनी “हेमंत-बेला प्रोडक्शंस” के तहत कुछ फिल्मों का निर्माण भी किया।
  10. सेवानिवृत्ति और बाद का जीवन:हेमंत कुमार ने 1970 के दशक के अंत में पार्श्व गायन से संन्यास ले लिया। अपनी सेवानिवृत्ति के बाद, उन्होंने अपना समय चित्रकला और साहित्यिक गतिविधियों में समर्पित कर दिया। उन्होंने “जिबनेर झरपाटा” नामक उपन्यास लिखा।
  11. मान्यता और पुरस्कार: हेमंत कुमार को अपने करियर के दौरान कई पुरस्कार मिले, जिनमें बंगाली फिल्म “जतुगृह” (1964) के लिए सर्वश्रेष्ठ पुरुष पार्श्वगायक का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भी शामिल है।
  12. निधन: 26 सितंबर 1989 को संगीत और कला की एक समृद्ध विरासत छोड़कर हेमंत कुमार का निधन हो गया। उनके गाने आज भी दुनिया भर के संगीत प्रेमियों के दिलों में भावनाएं जगाते हैं और उनके दिलों को छूते हैं।

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