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यादें अधूरी फिल्मों की (51):एक अंग्रेजी फिल्म ‘शांताराम’ की इस अंग्रेजी फिल्म को मीरा नायर निर्देशित करने वाली थी


अधूरी फिल्मों की इस श्रृंखला मे आज बात करते है एक अंग्रेजी फिल्म ‘शांताराम’ की.इस अंग्रेजी फिल्म को मीरा नायर निर्देशित करने वाली थी.फिल्म मे शीर्षक भुमिका ‘पाईरेटस् औफ कैरेबियन ‘ फिल्म सिरिज मे जैक स्पैरो के किरदार से मशहुर जॉनी डेप निभाने वाले थे.उनके साथ अमिताभ बच्चन महत्वपुर्ण भुमिका निभा रहे थे.
यह फिल्म ‘शांताराम’ नामक बेस्ट सेलर पर आधारित होने वाली थी .इस उपन्यास के लेखक ग्रेगरी डेविड रॉबर्ट्स है. यह लेखक वास्तविक जीवन की घटनाओं और कल्पनाओं को मिलाकर लिखा गया है.लेखक की कहानी आस्ट्रेलिया मे प्रारंभ होती है जहां वो ड्रग्स का आदि हैं और सशस्त्र डकैती के आरोप मे सजा काट रहा है. जेल से फरार हैकर वो एक जाली पासपोर्ट पर लिंडसे फोर्ड नाम से मुंबई आता है.यहां उसकी पहचान प्रभाकर से होती है जो पहले उसका गाईड और बाद मे मित्र बन जाता है.प्रभाकर अपने इस दोस्त को लिनबाबा कहकर बुलाता है .दोनों की प्रभाकर के गांव मे यात्रा के दौरान प्रभाकर की मां उसके शांत से स्वभाव के कारण ”शांताराम’ कहकर बुलाती है.
अपने सामान लुट लिए जाने के कारण लिन झुग्गी मे रहता है जो उसके छिपकर रहने का आश्रय स्थान बन जाता है.वहां नकली डाक्टर के रुप मे काम करते हुए वो मराठी मे प्रविण हो जाता है. विभिन्न बिमारियों मे सेवा देता है, कार्ला नामक स्विस लडकी से दोस्ती, हिंदी फिल्मों मे एक्स्ट्रा के रोल, हथियार और ड्रग्स की हेराफेरी आदी अनुभवोंसे गुजरते हुए आर्थर रोड जेल मे पहुंचता है.वहां की अनेक यातनाओं से अफगानी डॉन अब्देल कादर खान की सहायता से मुक्ती पाता है. अब वो विदेशी मुद्रा की काला बाजारी, नकली पासपोर्ट बनाना आदी करते हुए हथियारों की स्मगलिंग करते हुए आफ्रिका,अफगानिस्तान तक पहुंचता है.
जब उसके गाडफादर की हत्या हो जाती है तब अपनी जीवन यात्रा से निराश वह भारत लौटता है और अंत मे एक ईमानदार जिंदगी गुजारने के निश्चय के साथ श्रीलंका जाने की योजना बनाता है.
इस विविध रंगो से भरे उपन्यास के 2003 मे प्रकाशित होने के बाद अनेक फिल्म संस्थाओं,जीनमे अभिनेता रसेल क्रो भी शामिल थे,ने इसके फिल्मांकन के अधिकार खरिदने मे रुचि दिखाई और अंतत: अभिनेता जॉनी डेप के आग्रह पर वार्नर ब्रदर्स ने प्राप्त कर लिये. 2005 मे पटकथा लेखक एरिक रोल और निर्देशक पीटर वियर इस परियोजना मे शामिल हुए.2007 मे निर्देशिका मिरा नायर को निर्देशन की जिम्मेदारी सौंपी गई. मगर ब्रैड पिट और एंजेलिना जोली को फिल्म ‘द माईटी हार्ट ‘ के भारत मे फिल्मांकन मे आई मुश्किलों के बाद जॉनी डेप की मुंबई मे फिल्म की शुटिंग मे रुचि नहीं रही.और अंतत: फिल्म कागजी स्तर पर ही बंद हो गई.
हाल मे एप्पल प्लस ओटीटी प्लेटफॉर्म पर इस कहानी पर आधारित टिवी सिरिज के एक सीजन का प्रदर्शन हुआ है. इसके बाद सिरिज को रोक देने का निर्णय लिया गया.

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