लेखक अख्तर मिर्जा ने जब नया दौर की कहानी कई निर्माताओं को सुनाई तो किसी को भी पसंद नही आई। यहां तक कि जब उन्होंने ये कहानी निर्माता निर्देशक महबूब खान को सुनाई तो उन्होंने तो यहां तक कह दिया की इस कहानी पर तो फिल्म कभी बन ही नहीं सकती । फिर भी हिम्मत दिखा कर अख्तर मिर्जा ने ये कहानी निर्माता निर्देशक बी आर चोपड़ा को सुनाई तो उन्हें यह कहानी पसंद आ गई और उन्होंने दिलीप कुमार और मधुबाला को लेकर फिल्म शुरू भी कर दी। जब महबूब खान को ये बात पता लगी तो एक पार्टी में उन्होंने बी आर चोपड़ा को कहां की अगर आपने अख्तर मिर्जा इस कहानी पर हिट फिल्म बना दी तो मैं आपको सबके सामने सलाम ठोक कर जाऊंगा। नया दौर की कहानी इंसान और मशीन के बीच की लड़ाई की कहानी थी। इसके लिए बी आर चोपड़ा ने भोपाल के पास बुधनी की लोकेशन चुनी। लेकिन फिल्म की हीरोइन मधुबाला ने मुंबई से बाहर जाकर शूटिंग करने से मना कर दिया। मामला तूल पकड़ गया और अदालत तक पहुंच गया। एक बार तो लगा फिल्म कभी बन ही नहीं पाएगी लेकिन बी आर चोपड़ा को महबूब खान की बात हमेशा याद आती रहती थी इसलिए उन्होंने हार नही मानी और मधुबाला की जगह वैजयन्ती माला को हीरोइन ले लिया। अधिकतर शूटिंग भोपाल के पास के बुधनी के जंगलों में ही शूट हुई और ये फिल्म 15 अगस्त 1957 को रिलीज हुई । रिलीज के साथ ही इस फिल्म ने कामयाबी और शोहरत के नए झंडे गाड़ दिए। इसी साल महबूब खान की भी मदर इंडिया रिलीज हुई और इस साल की सबसे बड़ी हिट साबित हुई। लेकिन दूसरे नंबर पर जो इस साल की साल बड़ी हिट फिल्म रही वो थी बी आर चोपड़ा की नया दौर, जिसके बारे में महबूब खान ने कहा था कि इस कहानी पर तो कभी फिल्म बन ही नहीं सकती। नया दौर की सिल्वर जुबली की पार्टी ताज होटल में हुई और इस पार्टी में महबूब खान ने अपनी बात रखते हुए सबके सामने बी आर चोपड़ा को सलाम ठोका, क्योंकि जिस फिल्म को महबूब खान ने ये बोलकर बनाने से मना कर दिया था की इस कहानी पर कभी फिल्म बन ही नहीं सकती वो ही कहानी पर बनी फिल्म महबूब खान की मदर इंडिया के बाद उस साल की सबसे बड़ी हिट साबित हुई।