धर्मेंद्र जब मुंबई अभिनेता बनने आए और फिल्मों में काम करने के लिए स्ट्रगल कर रहे थे तब उनको एक फिल्म मिली शोला और शबनम। शोला और शबनम के कुछ प्रिंट धर्मेंद्र ने मशहूर निर्माता निर्देशक बिमल रॉय को दिखाए। बिमल रॉय ने वो प्रिंट में धर्मेंद्र की अदाकारी देख कर धर्मेंद्र को उनकी अपनी फिल्म बंदिनी में अभिनेय करने का मौका दिया और बंदिनी धर्मेंद्र के लिए मील का पत्थर साबित हुई और लगातार उनको फिल्मे मिलने लगी जिससे वो एक बड़े स्टार बन गए। काफी साल बाद बिमल रॉय धर्मेंद्र को लेकर चैताली नाम की एक फिल्म बना रहे थे। लेकिन फिल्म आधी ही बनी थी की बिमल रॉय की मृत्यु हो गई। बिमल रॉय की पत्नी इस फिल्म को पूरा करना चाहती थी लेकिन पैसों की समस्या को लेकर नहीं बना पा रही थी क्योंकि फिल्म से जुड़े सभी लोगो ने उनकी पत्नी को बोल दिया था की जब तक हमे अपना बकाया पैसा नही मिल जाता हम आगे काम नहीं करेंगे। यहां तक कि फिल्म की अभिनेत्री शर्मिला टैगोर ने भी यही कारण से ये फिल्म छोड़ दी। एक दिन धर्मेंद्र बिमल रॉय के घर एक बड़ा सा ब्रिफकेस लेकर आए तो बिमल रॉय की पत्नी को लगा कि वो भी अपना बकाया लेने आए है। धर्मेंद्र ने बिमल रॉय की पत्नी के सामने वो ब्रिफकेस खोला जो की नोटों से भरा हुआ था। धर्मेंद्र ने बिमल रॉय की पत्नी को बोला की मैं जानता हूं आप बिमल रॉय की फिल्म को पूरा करना चाहती है और पैसों की समस्या के कारण पूरा नहीं कर पा रही है। बिमल दा के मेरे ऊपर बहुत एहसान है।वो नही होते तो शायद आज मैं इस मुकाम पर नहीं होता। इसलिए आप ये पैसा लीजिए और अपनी फिल्म को पूरा कीजिए। यही नहीं धर्मेंद्र ने शर्मिला टैगोर जो ये फिल्म छोड़ चुकी थी उनकी जगह सायरा बानो से बात करके उनको अभिनेत्री लिया इस फिल्म के लिए। फिल्म का निर्देशन किया बिमल रॉय के सहायक ऋषिकेश मुखर्जी ने।