मध्य 80 के दशक में फरहा नाज और उनकी छोटी बहन तब्बू हैदराबाद में अपने परिवार के साथ रहा करते थे । इन दोनो की माताजी रिजवाना हाशमी और निर्देशक विजय आनंद की पत्नी सुषमा आनंद दोस्त हुआ करते थे । रिजवाना का हैदराबाद से मुंबई सुषमा से मिलने के लिए आना जाना लगा रहता था ।एक बार एक पार्टी में विजय आनंद के भाई देव आनंद की नजर फरहा और तब्बू पर पड़ी। उस वक्त देव आनंद एक फिल्म बना रहे थे, हम नौजवान। उस फिल्म में स्कूल में पढ़ने वाली अपनी बेटी का रोल करने के लिए एक नए चेहरे की तलाश थी जो उन्हे तब्बू में दिखा। साथ में ही उन्हें फरहा में भी हीरोइन बनने की उम्मीद दिखी इसलिए भविष्य में फरहा को भी किसी फिल्म में पहली बार मौका देने के लिए तब्बू के साथ फरहा का भी स्क्रीन टेस्ट ले लिया। उसी वक्त यश चोपड़ा अपनी अगली फिल्म फासले के लिए एक नई हीरोइन की तलाश कर रहे थे और उनकी फिल्म के लिए फरहा को स्क्रीन टेस्ट के लिए भेज दिया गया। यश चोपड़ा को अपनी फिल्म फासले के लिए फरहा पसंद आ गई और उसे हीरोइन के लिया गया । इस तरह शायद हिंदी सिनेमा के इतिहास में ये पहली बार हुआ कि दो बहनों ने एक साथ अपना फिल्मी करियर शुरू किया और दोनो की फिल्म भी एक ही साल में रिलीज भी हो गई। तब्बू की हम नौजवान नवंबर 1985 में और फरहा की फासले भी इसी साल के सितंबर के महीने में रिलीज हुई।