Home बॉलीवुड के रोचक प्रसंग और कहानियाँ जब शशि कपूर से मिलकर एक तवायफ रोने लगी।

जब शशि कपूर से मिलकर एक तवायफ रोने लगी।

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1993 में इस्माइल मर्चेंट ने अनिता देसाई की नॉवेल इन कस्टडी पर आधारित फिल्म मुहाफिज की शूटिंग भोपाल में शुरू की जिसमें एक उर्दू शायर होता है जिसकी दो बीवियां है, जिसमे से एक तवायफ है। फिल्म के एक सीन में एक मुजरा का सीन शूट होना था जिसके लिए इस्माइल मर्चेंट ने शशि कपूर से बात कि तो शशि ने कपूर ने असली मुजरा कार्यक्रम का सुझाव दिया। इस्माइल मर्चेंट ने प्रोडक्शन मैनेजर को भोपाल के किसी व्यक्ति से मुजरे के लिए एक असली तवायफ को ढूंढने को बोला तो पता चला कि जिस जगह पर मुजरा करने वाली तवायफ रहा करती थी वो सब ने ये काम छोड़ कर घरेलू जिंदगी को अपना लिया है । वक्त कम था इसलिए शहर से दूर भी किसी तवायफ को ढूंढने नहीं जाया जा सकता था। किसी तरह एक व्यक्ति ने प्रोडक्शन मैनेजर को बोला कि मैं एक तवायफ को जानता हूं, मैं बात करके देखता हूं। वो उस तवायफ के एक मामूली से घर में गया और बाहर आकर बोला कि मैने उसे मना लिया है गाने के लिए, इसके लिए वो 10 हजार रुपए लेगी और वो चाहती है की कोई उसे लेने न आए, जिधर मुजरे का आयोजन है वो उधर आपने आप आ जायेगी अपने साथियों के साथ। एडवांस लेने के बाद अगले दिन वो अपने साथियों के साथ बुर्के में होटल में आ गई जिधर मुजरे का आयोजन था पर उधर जाकर देखा तो उधर शहर के काफी बड़े बड़े लोगो को भी बुलाया गया था जबकि वो व्यक्ति ने उसे बोला था की सिर्फ शशि कपूर उनका मुजरा देखेंगे। उसने गाने के लिए मना कर दिया तो ये बात शशि कपूर तक पहुंची। शशि कपूर ने उस महिला से न गाने का कारण पूछा तो वो बोली की वो ये गाने का काम पहले ही छोड़ चुकी है और घरेलू जिंदगी में व्यस्त है। घर की हालत ठीक नहीं है, शौहर भी बीमार रहते है, पैसों की जरूरत थी इसलिए उसने ये प्रस्ताव स्वीकार किया लेकिन यहां और भी लोग है, किसी ने मुझे मुजरा करते हुए पहचान लिया तो बदनामी होगी। उसने वो एडवांस भी वापस करना चाहा तो शशि कपूर ने कहा कि देखिए, आप भी कलाकार है और मैं भी, हम सब एक ही बिरादरी के है इसलिए आप घबराए नहीं। शशि कपूर ने वो 10 हजार रूपए में कुछ और रुपए जोड़कर उसको दिए और उसके साथियों को भी। ये देखकर वो फुटफूट कर रोने लगी। बाद में पार्टी में सबके सामने मुजरे का नही, लोक संगीत का आयोजन किया गया ।

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