दामिनी फिल्म देखने के बाद मनीषा कोइराला ने अपने सेक्रेटरी से बोला कि उसका सपना अधूरा ही रहेगा जब तक की वो निर्देशक राजकुमार संतोषी की कोई फिल्म न कर ले। संयोग से उसी रात मनीषा के सेक्रेटरी की मुलाकात शाहरुख खान की एक पार्टी में राजकुमार संतोषी से हो गई। उसने राजकुमार संतोषी को मनीषा कोइराला की इच्छा बताई तो राजकुमार संतोषी ने उसे बोला की उसके पास एक विषय हुई जिसपर वो फिल्म बनाने की सोच रहे है इसलिए वो और मनीषा मुझसे आकर मिले। 24 फरवरी 1996 को जब मनीषा और उसका सेक्रेटरी राजुकमार संतोषी से मिले उसने मनीषा को फिल्म चाइना गेट की कुछ कहानी सुना दी। मनीषा ने कहानी सुनकर फिल्म करने के लिए हामी भर दी और एडवांस रकम से भी कम पैसे उसने लिए और 45 दिन की डेट्स राजकुमार संतोषी को दे दी। चाइना गेट में ओमपुरी, अमरीश पुरी, नसीरूदीन शाह जैसे बड़े कलाकारों की भी डेट्स ले ली गई थी और 15 जुलाई से मैसूर के पास हम्पी के पास शेड्यूल रखा गया था, इसके अलावा फिल्म की रिलीज डेट भी तय कर ली गई थी। 28 अप्रैल 1996 में जुहू के एक बंगले में फिल्म का मुहूर्त रखा गया। मुहूर्त में सब कलाकार आ गए थे मगर मनीषा कोइराला नही आई। कारण ये था चाइना गेट से एक दिन पहले फिल्मसिटी में सुबह 4 बजे तक वो एक फिल्म की शूटिंग करती रही और सुबह करीब 5:30 बजे जो वो सोने गई तो उसकी चाइना गेट फिल्म के मुहूर्त के समय तक नींद ही नहीं खुली। मनीषा कोइराला की इस गहरी नींद ने चाइना गेट के निर्माता भरत शाह और निर्देशक राजकुमार संतोषी की नींद उड़ा दी। जल्दबाजी में ऐश्वर्या राय और नम्रता शिरोडकर को फोन लगाया गया मगर उनके पास भी डेट्स नही थी। आखिरकार ये रोल ममता कुलकर्णी की झोली में आ गिरा। ये बात अलग है की मनीषा कोइराला ने इसके बाद राजकुमार संतोषी की फिल्म लज्जा में काम किया।