1983 में निर्देशक मनमोहन देसाई एक फिल्म बनाने रहे थे, कुली। इस फिल्म की कहानी के अनुसार फिल्म के अंत में इकबाल नामक हीरो जो की अमिताभ बच्चन ने निभाया था उसकी कादर खान की पिस्तौल से गोली लगने से मृत्यु हो जाती है । लेकिन जब फिल्म की शूटिंग होती है तो पुनीत इस्सर के साथ एक फाइट सीन करने के दौरान अमिताभ बच्चन को गंभीर चोट लग गई और जिंदगी और मौत के बीच अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। पूरा देश अमिताभ के अच्छे स्वस्थ होने की प्रार्थना करने लगा। डॉक्टर्स की मेहनत और लोगों की प्रार्थना की वजह से कुछ महीने बाद अमिताभ स्वस्थ होकर अस्पताल से बाहर आ गए। अमिताभ जब फिल्म की शूटिंग करने फिर से गए तब निर्देशक मनमोहन देसाई को लगा कि अमिताभ की इस दुर्घटना की वजह से पूरा देश एक होकर अमिताभ के स्वस्थ की प्रार्थना कर रहा था और लोगो की भावनाएं अमिताभ बच्चन के साथ थी । इसलिए मनमोहन देसाई को लगा कि मेरी फिल्म की कहानी के अनुसार फिल्म के अंत में अमिताभ बच्चन की मृत्यु हो जाती है तो जनता शायद ये फिल्म का अंत स्वीकार न करे। हो सकता है इसका विपरीत असर पड़े, फिल्म फ्लॉप हो ना हो लेकिन जनता उनके खिलाफ हो सकती है और उनको मुश्किलों को सामना करना पड़ सकता है क्योंकि अमिताभ अभी अभी जिंदगी और मौत से एक लंबी लड़ाई लड़कर आए है। इसलिए उन्होंने जनता की भावनाओं का ध्यान रखते हुए फिल्म का अंत बदल दिया और जिस अमिताभ की फिल्म के अंत में मृत्यु हो जाती है उसको वो फिल्म के अंत में जिंदा ही रखते है।