1989 मे टी सीरीज के मालिक गुलशन कुमार संगीतकार नदीम श्रवण के संगीत में सजे कुछ गानों की एक प्राइवेट एल्बम निकालने वाले थे। नदीम श्रवण जोड़ी का नाम तब एक तरह से लोगो के लिए अनजान था। जब इन गानों को महेश भट्ट ने सुना तो उन्हें बहुत पसंद आए और उन्होंने गुलशन कुमार को कहा की आपके ये प्राइवेट एल्बम के लिए बने गाने किसी एल्बम के लिए नहीं बल्कि फिल्म के गानों के लिए उपयुक्त है और आप इनको फिल्म के लिए इस्तेमाल करे न कि प्राइवेट एल्बम के लिए। गुलशन कुमार की टी सीरीज उस वक्त सिर्फ प्राइवेट एल्बम ही निकाला करती थी इसलिए गुलशन कुमार ने महेश भट्ट को कहा कि मैं किधर फिल्म निर्माताओं के ऑफिस के चक्कर लगाता रहूंगा इसलिए ये तो मेरे बस की बात नही। महेश भट्ट ने उन्हें कहा की आप फिक्र न करे, मैं इन गीतों को ध्यान में रखकर एक कहानी बनाता हूं और आप फिल्म का निर्माता बन जाना। गुलशन कुमार शुरू में थोड़ा हिचके लेकिन अंत में मान गए। महेश भट्ट ने इन गीतों को अपनी और अपनी पहली पत्नी के निजी जीवन की कहानी को पिरो कर एक कहानी लिख डाली। फिल्म के लिए दो नए कलाकार राहुल रॉय और अनु अग्रवाल को साइन किया गया और गीतों को गाया कुमार सानू और अनुराधा पौडवाल ने जो खुद फिल्मों में काम करने के लिए संघर्ष कर रहे थे। फिल्म रिलीज से पहले जब फिल्म के संगीत बाजार में आया तो उसने तहलका मचा दिया । टी सीरीज के ऑडियो कैसेट इतने बिके की टी सीरीज ने 1 करोड़ ऑडियो कैसेट्स बिकने के बाद इसकी गिनती ही बंद कर दी। फिल्म थी आशिकी ।