डैनी ने 1971 में अपना फिल्मी जीवन शुरू किया । डैनी के फिल्मों में आने से 2 साल पहले अमिताभ बच्चन फिल्मों में प्रवेश कर चुके थे लेकिन दोनो कलाकारों को इंडस्ट्री में जमने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ी। 1971 में जब डैनी की पहली फिल्म आई उसके 18 साल बाद तक डैनी ने एक से बढ़कर एक फिल्मे कई बड़े कलाकार के साथ कि लेकिन अमिताभ बच्चन के साथ उन्होंने कोई फिल्म नहीं की । इसका कारण डैनी ने बताया था कि वो अमिताभ बच्चन के बहुत बड़े प्रशंसक रहे है और उनका बहुत सम्मान भी करते है । उनकी पत्नी जया भादुड़ी और डैनी दोनो ने पुणे के एफटीआईआई से साथ में एक्टिंग कोर्स किया था और जया भादुड़ी ने उनकी फिल्मों के अलावा एफटीआईआई में भी काफी मदद की। लेकिन डैनी का कहना था कि उन्होंने अमिताभ बच्चन के साथ फिल्मे इसलिए नहीं की क्योंकि अमिताभ बच्चन की फिल्मों में सिर्फ अमिताभ बच्चन ही दिखते थे, उनके साथी कलाकारों का रोल इतना खास नही होता था। इसका दोष वो अमिताभ बच्चन की फिल्मे बनाने वाले निर्माता निर्देशक को दिया करते थे। डैनी ने ये भी कहा कि हर साल उनके पास अमिताभ बच्चन की फिल्म बना रहे निर्माता निर्देशक आते थे उनकी फिल्म में काम करने के प्रस्ताव लेकर, लेकिन रोल सुनकर वो मना कर दिया करते थे। एक बार निर्माता निर्देशक मनमोहन देसाई ने डैनी को एक फिल्म का प्रस्ताव दिया तो डैनी ने उनको बोल दिया कि आपकी फिल्म तो मैं कभी न करूं। आप जैसी फिल्में बनाते है वो फिल्मे भारतीय सिनेमा को 20 साल और पीछे ले जाती है, और आप की देखा देखी करके दूसरे लोग भी वैसी ही फिल्मे बनाते हैं । लेकिन 1985 में निर्देशक मुकुल आनंद ने अपनी फिल्म एतबार में डैनी को जो रोल दिया वो काफी पसंद किया गया। इसके बाद मुकुल आनंद 1989 में जब अग्निपथ बना रहे थे तो उन्होंने डैनी को अग्निपथ का रोल सुनाया तो डैनी ने फिल्म के लिए हां कर दी। ये सुनकर भी की फिल्म में अमिताभ बच्चन हीरो है । उनका कहना था उनको रोल बहुत अच्छा लगा इसलिए उन्होंने फिल्म के लिए हां कर दी। इस तरह डैनी ने 18 साल बाद पहली बार अमिताभ की फिल्म में काम करने की हामी भरी। इस फिल्म के बाद डैनी ने मुकुल आनंद की दो और फिल्में, हम और खुदा गवाह में भी काम किया जिसमे अमिताभ भी थे।