मुकुल आनंद ने फिल्म खुदा गवाह के कलाकारों का जब चयन किया तो उसमे अमिताभ बच्चन, श्रीदेवी, फरहा और डैनी थे। फरहा का हमेशा सपना था अमिताभ बच्चन के साथ काम करने का। जब खुदा गवाह का मूहर्त रखा गया तो इसमें काम करने जा रहे सभी कलाकार आए पर फरहा नही आई। फरहा को ये बात पता लग गई थी कि फिल्म में श्रीदेवी का डबल रोल है और अमिताभ बच्चन और श्रीदेवी के सामने उनका रोल काफी छोटा और ज्यादा मजबूत भी नही हैं। फरहा ने इसके लिए अपने सेक्रेटरी अशोक पंजाबी को मुकुल आनंद के पास भेजा ये निवेदन करने के लिए कि उसका रोल बड़ा दिया जाए, लेकिन मुकुल आनंद ने अशोक पंजाबी को बोल दिया की वो कहानी में कोई बदलाव नहीं करेंगे, जो रोल उनको बताया गया है वैसा ही करना होगा। जब ये बात फरहा को पता लगी तो वो मुकुल आनंद के पास फिल्मसिटी पहुंच गई जिधर मुकुल आनंद अपनी फिल्म अग्निपथ की शूटिंग कर रहे थे। फरहा ने मुकुल को बोला की आप ने मेरे सेक्रेट्री की बेइज्जती की है इसलिए वो मेरे सेक्रेट्री से माफी मांगे। मुकुल ने कहा की मैने ऐसा कुछ बोला ही नही है जो मैं उनके सेक्रेट्री से माफी मांगू। मैने तो सिर्फ इतना कहा है कि जो रोल आपको सुनाया गया है वो वैसा ही रहेगा । फरहा ने फिर मुकुल को बोला कि अगर वो माफी नहीं मांगेंगे तो वो उनकी फिल्म नहीं करेंगी। बात जब काफी बढ़ गई तो खुदा गवाह के निर्माता मनोज देसाई को हस्तक्षेप करना पड़ा । फरहा ने मनोज देसाई के समझाने पर बोला की ठीक है वो फिल्म कर लेगी लेकिन एक शर्त पर कि अगर फिल्म के निर्देशक मुकुल आनंद की जगह किसी और को फिल्म के निर्देशक की कमान सौंपी जाए। ये काफी बड़ी बात तो जो हो नही सकती थी। इसलिए निर्माता मनोज देसाई ने फरहा को ही फिल्म से बाहर दिया और उनकी जगह शिल्पा शिरोडकर को ले लिया। इस तरह फराह ने एक तरह से अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी मार ली जिसकी वजह से उसका अमिताभ बच्चन के साथ काम करने का सपना अधूरा ही रह गया ।