1988 में निर्देशक मनमोहन देसाई एक फिल्म बना रहे थे, गंगा जमुना सरस्वती। फिल्म में मनमोहन देसाई के पसंदीदा कलाकार अमिताभ बच्चन थे और उनके साथ पहली बार काम कर रहे थे मिथुन चक्रवर्ती। मनमोहन देसाई ने जब मिथुन को साइन किया तो उनको अपनी अगली फिल्म रोजी रोटी के लिए भी मुख्य कलाकार के रूप में साइन कर लिया। उस वक्त मिथुन एक बड़े स्टार कलाकार बन चुके थे और फिल्मों में उनके रोल फिल्म का केंद्र बिंदु हुआ करता था। जिस तरह मनमोहन देसाई ने उनको उनका रोल सुनाया उससे सुनकर उनको अपना रोल मजबूत लगा। लेकिन जब फिल्म की शूटिंग खत्म हो गई और फाइनल प्रिंट मिथुन ने देखा तो वो आगबबूला हो गए। उन्होंने देखा कि उनके सीन्स को कांट छांट कर बहुत छोटा कर दिया गया। इस बात के लिए वो मनमोहन देसाई से भिड़ भी गए और जब फिल्म की डबिंग का वक्त आया तो मिथुन ने कुछ दृश्य की डबिंग करके डबिंग करने से इंकार कर दिया । इसके साथ ही मिथुन ने मनमोहन देसाई के साथ साइन की गई फिल्म रोजी रोटी में भी काम करने से इंकार कर दिया। मनमोहन देसाई ने फिर बाकी बचे हुए मिथुन चक्रवर्ती के दृश्य की डबिंग मिमिक्री आर्टिस्ट सुदेश भोंसले से करवाई । साथ ही मनमोहन देसाई ने मिथुन के इंकार के बाद अपनी अगली फिल्म रोजी रोटी बनाने के ख्याल को भी दिमाग से निकाल दिया। गंगा जमुना सरस्वती जब रिलीज हुई तब काफी दृश्य में मिथुन की आवाज को सुदेश भोंसले ने मिथुन की नकल करके डब किया था। लेकिन कुछ वक्त बाद जब फिल्म का वीडियो कैसेट वर्जन आया तो उसमे मिथुन के सभी दृश्य में मिथुन की अपनी ही आवाज थी। बाद में मिथुन की आवाज कैसे आई, क्या मनमोहन देसाई के साथ मिलकर दोनो में समझौता हो गया था ये बात रहस्य ही रही। लेकिन इसका फायदा फिल्म को तो कुछ नही हुआ क्योंकि गंगा जमुना सरस्वती तब तक फ्लॉप हो चुकी थी।