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जब एक ही चरित्र को निभाने में एक नही, दो नहीं , तीन अभिनेत्रियों ने अपना योगदान दिया।

1982 में निर्देशक कपिल कपूर ने एक फिल्म बनाई, ये वादा रहा। फिल्म में ऋषि कपूर, टीना मुनीम और पूनम ढिल्लन मुख्य भूमिका में थे। इस फिल्म में टीना मुनीम और पूनम ढिल्लन ने एक ही लड़की सुनीता का रोल निभाया । हिंदी सिनेमा में ये पहली बार था जब किसी फिल्म में प्लास्टिक सर्जरी के बारे में बताया गया। पूनम ढिल्लन जिसका नाम सुनीता है उसका एक्सीडेंट हो जाता है और चेहरा खराब होने के कारण उसकी प्लास्टिक सर्जरी करनी पड़ती है। सर्जरी के बाद जो नया चेहरा पूनम ढिल्लन का निकल कर आता है वो रोल टीना मुनीम ने निभाया। निर्देशक कपिल कपूर को ये तो पता था कि एक्सीडेंट के बाद अगर चेहरा बदल जाता है तो वो पब्लिक समझ सकती है पर किसी की एक्सीडेंट के बाद आवाज भी बदल जाए चेहरे के साथ वो पब्लिक शायद हजम न कर पाए। इसका उपाय ये निकाला कि टीना मुनीम का जो चेहरा बदलकर आता है उसमे पूनम ढिल्लन की ही आवाज को डब कर दिया जाए। लेकिन इसके लिए टीना मुनीम राजी नहीं हुई कि शायद ये फिल्म का सारा श्रेय पूनम ढिल्लन को मिल जायेगा, ऐसी ही कुछ सोच पूनम ढिल्लन की भी थी अगर टीना मुनीम की आवाज उसपर डब की जाए। काफी उलझन में पड़कर निर्देशक ने ये उपाय निकाला कि फिल्म में न तो पूनम ढिल्लन की आवाज होगी ना टीना मुनीम की। दोनो अभिनेत्री की आवाज को जया भादुड़ी अपनी आवाज देगी, जिससे फिल्म निरंतता बनी रही ।इसके लिए दोनो अभिनेत्री राजी भी हो गई। इस तरह एक ही चरित्र को निभाने में एक नही दो नही तीन तीन अभिनेत्री ने अपना योगदान दिया। ये इस तरह का पहली बार प्रयोग हुआ था।

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