मोहम्मद रफी ने 50,60,70 के दशक में लगभग सभी हिंदी फिल्मों में गीत गाकर हिंदी फिल्मों पर राज किया। लेकिन 80 के दशक आते आते उनको गाने मिलना कम हो गए थे। 1976 में एक फिल्म आई, लैला मजनू। जब ये फिल्म बनना शुरू हुई तो इस फिल्म के संगीतकार के रूप में मदन मोहन को लिया गया। मदन मोहन ने इस फिल्म में गीत गाने के लिए जब मोहम्मद रफी को चुना तो फिल्म के निर्माता के साथ साथ फिल्म के हीरो ऋषि कपूर भी इसके खिलाफ हो गए। काफी लोगो ने मदन मोहन को समझाया कि ऋषि कपूर के लिए फिल्माए जाने वालों गीतों के लिए आप किशोर कुमार या फिर ऋषि कपूर के लिए अधिकतर गाने वाले शैलेंद्र को ले, लेकिन मदन मोहन अपनी बात पर अडिग रहे की या तो मोहम्मद रफी फिल्म में गायेंगे या फिर मैं ही फिल्म छोड़ देता हूं। आप ऋषि कपूर की जगह किसी और अभिनेता को भी लेंगे तो भी मेरे लिए फिल्म में गायक मोहम्मद रफी हो रहेंगे, क्योंकि मेरा संगीत फिल्म में ऋषि कपूर को ध्यान में रखकर नही मजनू को ध्यान में रखकर बनाया गाया है। मदन मोहन की ये बाते सुनकर निर्माता ने मदन मोहन को मोहम्मद रफी के लिए हामी भर दी। फिल्म रिलीज हुई और मोहम्मद रफी के गीतों को बहुत पसंद किया है। ये बात अलग है कि जब मदन मोहन फिल्म का संगीत तैयार कर रहे थे तभी उनकी मृत्यु हो गई और फिल्म के संगीत का अधूरा काम संगीतकार जयदेव ने पूरा किया।