बॉलीवुड में एक ऐसी भी फिल्म आई है, जिसने बॉक्स ऑफिस पर अपने बजट की 100 गुना कमाई की और आज तक इसका रिकॉर्ड कोई नहीं तोड़ पाया। कौन सी फिल्म थी वह…
– हम बात कर रहे हैं 30 मई 1975 को रिलीज हुई फिल्म ‘जय संतोषी मां’ की। महज 5 लाख रुपए में बनी इस फिल्म ने बॉक्सऑफिस पर 5 करोड़ रुपए की कमाई की थी। – यह वही साल था, जब बॉक्सऑफिस पर ‘शोले’ और ‘दीवार’ जैसी बड़े स्टार्स से सजी फिल्में रिलीज हुई थीं। लेकिन बिना किसी बड़ी स्टारकास्ट के ‘जय संतोषी मां’ ने सिल्वर स्क्रीन पर गोल्डन जुबली (50 सप्ताह) मनाई थी। – विजय शर्मा के डायरेक्शन में बनी इस फिल्म में अनिता गुहा, कनन कौशल, भारत भूषण और आशीष कुमार ने अहम रोल प्ले किया था।
साल 1975 का दौर जब अमिताभ बच्चन एंग्री यंग बनकर उभर रहे थे और बॉलीवुड में एक्शन फिल्मों की भरमार हुआ करती थी. ये वो दौर था जब हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में सिर्फ धरमेंद्र, देव आनंद और राजेश खन्ना की फिल्में चलती थीं, लेकिन साल 1975 में रिलीज हुई फिल्म ‘जय संतोषी मां’ ने उस साल बॉक्स ऑफिस पर जबरदस्त कमाई कर साबित कर दिया कि फिल्में बड़े हीरो के बिना भी चल सकती हैं. इस फिल्म ने दर्शकों पर ऐसा जादू किया था जो कई हफ्तों तक नहीं उतरा था. खास बात ये है कि ये बॉलीवुड की एक ऐसी फिल्म है जिसका रिकॉर्ड 48 साल बाद भी न कोई हिंदी फिल्म तोड़ पाई है और न ही साउथ इंडियन फिल्म. जी हां आप शायद ही इस फिल्म से जुड़ी रोचक बातों के बारे में जानते होंगे.
सिल्वर स्क्रीन पर गोल्डन जुबली
हम बात कर रहे हैं 30 मई 1975 को रिलीज हुई फिल्म ‘जय संतोषी मां’ की, महज 5 लाख रुपए में बनी इस फिल्म ने बॉक्सऑफिस पर 5 करोड़ रुपए की कमाई की थी. यह वही साल था, जब बॉक्स ऑफिस पर ‘शोले’ और ‘दीवार’ जैसी बड़े स्टार्स से सजी फिल्में रिलीज हुई थीं, लेकिन बिना किसी बड़ी स्टारकास्ट के ‘जय संतोषी मां’ ने सिल्वर स्क्रीन पर गोल्डन जुबली (50 सप्ताह) मनाई थी. विजय शर्मा के डायरेक्शन में बनी इस फिल्म में अनिता गुहा, कनन कौशल, भारत भूषण और आशीष कुमार ने अहम रोल प्ले किया था.
बैलगाड़ियों में भर-भर कर आते थे लोग
जब फिल्म ‘जय संतोषी मां’ रिलीज हुई तो शहर के सिनेमाघरों में इसके पोस्टर लगे, लोग इस फिल्म को देखने के लिए दूर- दूर से बैलगाड़ियों में भर-भर कर आते थे. हालांकि इस फिल्म ने अपने पहले ही शो में 56 रुपये तो दूसरे में 64 जिसके बाद ईवनिंग शो में 98 रुपये और रात के शो में मुश्किल से 100 रूपये की कमाई की थी, लेकिन सोमवार की सुबह से जो इस फिल्म का जादू चला तो महीनों तक दर्शकों के सिर चढ़कर बोला.
जूते-चप्पल बाहर उतारकर जाते थे फिल्म देखने
आपको जानकर हैरानी होगी कि फिल्म धार्मिक थी इसलिए लोग जब फिल्म को देखने आते थे तो जूते-चप्पल बाहर उतारकर सिनेमाघर के अंदर जाते थे. इतना ही नहीं माता को भोग लगाने के लिए घर से प्रसाद लेकर आते थे और जब स्क्रीन पर संतोषी माता आती थीं तो लोग उन्हें दान के तौर पर सिक्की चढ़ाकर जाया करते थे. वहीं फिल्म में संतोषी माता का किरदार करने वाले एक्ट्रेस अनिता गुहा पर लोगों ने खुब प्यार लुटाया था, लोग उन्हें सच में देवी मानने लगे थे और उनसे आशीर्वाद लेते थे.
फिल्म में संतोषी मां का किरदार निभाने वाली एक्ट्रेस रातोंरात फेमस हो गईं. हालांकि इससे पहले वो सीता माता के किरदार को भी निभा चुकी थी लेकिन पहचान उन्हें संतोषी मां बनकर ही मिली. फिल्म की कहानी ने तो इस फिल्म को ब्लॉक बस्टर बनाने में मदद की ही साथ ही फिल्म के संगीत ने इसमें खूब रंग भरे. फिल्म के गाने कवि प्रदीप ने लिखे और संगीतकार सी अर्जुन ने बहुत ही मौलिक और लोकगीतों के अनुरूप धुनें दीं, साथ ही खुद कवि प्रदीप ने भी इसके दो गानों को अपनी आवाज दी. फिल्म में दो गाने गाए। मन्ना डे और महेंद्र कपूर और उषा मंगेशकर ने उनकी धुनों पर अपनी आवाज का जादू खूब चलाया.