बॉलीवुड में यंग अमिताभ नाम से हुए मशहूर, अभिमन्यु का रोल निभाकर बने स्टार, आज है अरबों की संपत्ति के मालिक

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अगर आपने अमिताभ बच्चन की ‘मुकद्दर का सिकंदर’ और ‘लावारिस’ जैसी फिल्में देखी हैं, तो आपको वह मशहूर बाल कलाकार जरूर याद होगा, जिसने बिग बी की ज्यादातर फिल्मों में उनके बचपन के रोल निभाए. उनका चेहरा-मोहरा अमिताभ बच्चन से मिलता था. वे एक्टिंग भी कमाल करते थे. मास्टर मयूर 70-80 के दशक में सबसे ज्यादा फीस चार्ज करने वाले बाल कलाकार थे. वे बीआर चोपड़ा की ‘महाभारत’ में अभिमन्यु का रोल निभाकर पॉपुलर हुए थे, लेकिन करियर के पीक पर एक्टिंग से दूरी बना ली. वे आज अपने बिजनेस से करोड़ों रुपये कमाते हैं।

इस चाइल्ड आर्टिस्ट ने 1978 की फिल्म ‘मुकद्दर का सिकंदर’ से डेब्यू किया था. वे फिल्म जगत में मास्टर मयूर नाम से मशहूर हुए, लेकिन उनका असली नाम मयूर राज वर्मा हैं. दिल्ली से ताल्लुक रखने वाले इस एक्टर का फिल्म जगत से दूर-दूर तक कोई नाता नहीं था, लेकिन किस्मत उन्हें फिल्म जगत में ले गई. दरअसल, मास्टर मयूर की मां एक चर्चित लेखिका और जर्नलिस्ट थीं, जो फिल्मी सितारों के इंटरव्यू लेती थीं।

मयूर राज वर्मा की मां कहीं-न-कहीं चाहती थीं कि उनका बेटा एक्टिंग की दुनिया में नाम कमाए. मीडिया रिपोर्ट अनुसार, वे एक बार जब प्रकाश मेहरा का इंटरव्यू लेने पहुंचीं, तो डायरेक्टर ने बताया कि वे अमिताभ बच्चन के बचपन के रोल के लिए एक चाइल्ड एक्टर की तलाश कर रहे हैं, जो दिखने में थोड़ा-बहुत उनके जैसा हो. मास्टर मयूर की मां ने अपने बेटे का जिक्र छेड़ दिया. फोटो देखने के बाद, प्रकाश मेहरा ने मास्टर मयूर को ‘मुकद्दर का सिकंदर’ फिल्म का ऑफर दे दिया।

मास्टर मयूर की पहली ही फिल्म हिट हुई और उन्हें दर्जनों फिल्मों के ऑफर मिलने लगे. वे दर्शकों के बीच यंग अमिताभ नाम से लोकप्रिय हुए. फिल्म ‘लावारिस’ ने उन्हें और मशहूर बना दिया. वे उस दौर में सबसे ज्यादा फीस चार्ज करने वाले चाइल्ड आर्टिस्ट बन गए. वे आगे ‘लव इन गोवा’, ‘शराबी’, ‘कानून अपना अपना’ सहित दर्जन भर फिल्मों में दिखे।

बीआर चोपड़ा की नजर जब उनकी अदाकारी पर पड़ी, तो उन्हें अपने टीवी शो ‘महाभारत’ में अभिमन्यु के रोल के लिए कास्ट कर लिया. वे इस रोल से इतना लोकप्रिय हुए कि दर्शक को उनमें भविष्य का सुपरस्टार नजर आने लगा, लेकिन उनका भविष्य के लिए कुछ और ही प्लान था. लोग हैरान थे कि वे यूं अचानक कहां और क्यों गायब हो गए।

मयूर राज वर्मा जब एक्टिंग करियर के पीक पर थे, तब उन्होंने बिजनेस करने का मन बनाया. उन्होंने चर्चित शेफ नूरी से शादी की थी, जिनसे उनके दो बच्चे हैं. वे भारत छोड़कर वेल्स जाकर बस गए, जहां उन्होंने अपने बिजनेस को बढ़ाया. वे पत्नी के साथ मिलकर ‘इंडियाना’ नाम का रेस्तरां चलाते हैं, जिसके दम पर वे अरबों की संपत्ति बना पाए. इसके अलावा भी उनके कुछ और बिजनेस हैं।

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“मुराद” :एक सशक्त अभिनय और दमदार आवाज़ जिनकी पहचान है ।

कुछ शक्लें, समंदर होती हैं और कुछ आंखें, तारीख़ की किताब, इनके ख़ामोश रह लेने भर से, कई क़िस्से आबाद होते हैं और इनकीआवाज़, आशना होने का सबूत होते हैं। ये कई अलग अलग रूप में, हमारे सामने से गुज़रते हैं और हर बार हम मानते हैं कि इनसे तोक़रार है, मिलते रहने का और इसी ख़ुशमिज़ाजी में, हम उनका नाम भी पूछना भूल जाते हैं। हिन्दी सिनेमा में एक ऐसी ही शक़्ल हामिद अली मुराद की थी। मुराद, 1910 में, रामपुर, उत्तर प्रदेश में पैदा हुए और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के कैम्पस में मिंटो सर्कल में हाई स्कूल तक की पढ़ाई भी की। ये अपने घर के दुलारे थे और कद काठी से भी बेहद ख़ूबसूरत नौजवान थे। इनके कुछ रिश्तेदार बंबई (अब मुंबई) में रहते थे, और ये वहीं पहुंच गए। इनकी पत्नी के भाई, अमानुल्ला ख़ान, भोपाल के राजपरिवार से थे और लिखने का शौक़ रखते थे। मुंबई में, अमानुल्लाह की सलाहियत से फ़िल्मी दुनिया के लोग वाकिफ़ थे और आगे जा कर इन्होंने, “मुग़ल-ए-आज़म” और “पाकीज़ा” कीपटकथा भी लिखी। मशहूर अभिनेत्री, ज़ीनत अमान, अमानुल्लाह ख़ान की बेटी हैं और इस तरीके से मुराद की भांजी भी। मुंबई में, 1943 में, महबूब ख़ान की फ़िल्म, “नजमा” से इन्होंने शुरुआत की और इस फ़िल्म में वे मशहूर अभिनेता अशोक कुमार केपिता के किरदार में नज़र आए। इसके बाद, ये महबूब ख़ान की हर फ़िल्म का हिस्सा बन गए। आने वाले सालों में, “अनमोल घड़ी”, “आन”,...