स्मिता पाटिल की फिल्म से किया डेब्यू, 7 फिल्में करके भी फ्लॉप हुआ करियर, ‘रामायण’ ने बना दिया स्टार..

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दूरदर्शन पर प्रसारित सीरियल ‘रामायण’ में नजर आ चुके कई किरदारों को इस शो से बड़ी पहचान मिली थी. इसी शो से एक एक्टर को रातोंरात बड़ी पहचान मिली. हालांकि वो एक्टर इस शो से पहले फिल्मी दुनिया में अपनी किस्मत आजमा चुके थे. खुद को रोमांटिक हीरो साबित करने के लिए उन्होंने काफी मेहनत भी की लेकिन सफल नहीं हो सके. फिर ‘रामायण’ ने उन्हें स्टार बना दिया था।

फिल्मों से करियर की शुरुआत करने वाला वो एक्टर, जिन्होंने करियर की शुरुआत ही हिंदी सिनेमा की दिग्गज अभिनेत्री स्मिता पाटिल के साथ की. लेकिन पहली फिल्म से उन्हें कुछ खास सफलता नहीं मिली. लेकिन जब टीवी पर नजर आए तो देखते ही देखते वह रातोंरात स्टार बन गए. टीवी के पौराणिक शो ‘रामायण’ ने तो उन्हें स्टार ही बना दिया।

हम रामायण के जिस एक्टर की बात कर रहे हैं वो हैं रोमांटिक हीरो के रुप में करियर की शुरुआत करने वाले दिग्गज अभिनेता सुनील लहरी, जिन्होंने लक्ष्मण की भूमिका निभाकर घर-घर में अपनी अलग पहचान बनाई थी. टीवी सीरियल की दुनिया में कदम रखते ही वह रातों रात मशहूर हो गए. साल 1987 में दूरदर्शन पर प्रसारित सीरियल ‘रामायण’ ने उस दौर में इतिहास रच दिया था. इतना ही नहीं लॉकडाउन के दौरान जब ये शो दोबारा दिखाया गया तो लोगों ने इसे काफी पसंद किया. इस शो के हर किरदार को बड़ी पहचान मिली।

फ्लॉप रहा था फिल्मी करियर

‘रामायण’ से पहले सुनील लहरी साल 1980 में आई फिल्म ‘नक्सलाइट’ में नजर आए थे. यही उनकी डेब्यू फिल्म थी. इस फिल्म में उनके साथ हिंदी सिनेमा की दिवंगत अभिनेत्री स्मिता पाटिल भी अहम भूमिका में नजर आई थीं. हालांकि इस फिल्म के बाद वह साल 1985 में फिल्म ‘फिर आई बरसात’ में भी नजर आए. इस फिल्म में उनके अपोजिट अनुराधा पटेल नजर आई थीं. खुद को रोमांटिक हीरो स्थापित करने में सुनील कामयाब नहीं हो पाए थे. उनकी फिल्में भी फ्लॉप साबित हुईं. इसके बाद उन्होंने टीवी का रुख किया।

टीवी से चमकी थी एक्टर की किस्मत

जब फिल्मी दुनिया में एक्टर अपनी जड़े जमाने में कामयाब नहीं हो पाए तो उन्होंने साल 1985 में टीवी पर अपना हुनर आजमाने के लिए कदम रखा. टीवी पर उनका पहला सीरियल रामानंद सागर का ही ‘विक्रम और बेताल’ था, जिसमें वह नजर आए थे. इसके बाद ‘रामायण’ जैसा शो आया जिसमें सुनील ने लक्ष्मण का किरदार निभाकर एक बड़ी पहचान बनाई. इस शो के जरिए वह युवाओं के चहीते बन गए. लोग उन्हें इतना पसंद करने लगे थे कि सच में उन्हें भगवान मानने लगे थे।

बता दें कि सुनील ने अपने एक्टिंग करियर में कुल 7 फिल्मों में काम किया. वही बात अगर उनके किए टीवी सीरियल की करें तो ‘विक्रम और बेताल’, ‘रामायण’, ‘परम वीर चक्र’, ‘लव कुश’ और ‘सपनों की दुनिया’ जैसे कई टीवी शो के जरिए भी सुनील ने टीवी की दुनिया में धाक जमाई. लेकिन जो पॉपुलैरिटी उन्हें ‘रामायण’ में लक्ष्मण का किरदार निभाकर मिली वो दोबारा किसी और शो से नहीं मिली।

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“मुराद” :एक सशक्त अभिनय और दमदार आवाज़ जिनकी पहचान है ।

कुछ शक्लें, समंदर होती हैं और कुछ आंखें, तारीख़ की किताब, इनके ख़ामोश रह लेने भर से, कई क़िस्से आबाद होते हैं और इनकीआवाज़, आशना होने का सबूत होते हैं। ये कई अलग अलग रूप में, हमारे सामने से गुज़रते हैं और हर बार हम मानते हैं कि इनसे तोक़रार है, मिलते रहने का और इसी ख़ुशमिज़ाजी में, हम उनका नाम भी पूछना भूल जाते हैं। हिन्दी सिनेमा में एक ऐसी ही शक़्ल हामिद अली मुराद की थी। मुराद, 1910 में, रामपुर, उत्तर प्रदेश में पैदा हुए और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के कैम्पस में मिंटो सर्कल में हाई स्कूल तक की पढ़ाई भी की। ये अपने घर के दुलारे थे और कद काठी से भी बेहद ख़ूबसूरत नौजवान थे। इनके कुछ रिश्तेदार बंबई (अब मुंबई) में रहते थे, और ये वहीं पहुंच गए। इनकी पत्नी के भाई, अमानुल्ला ख़ान, भोपाल के राजपरिवार से थे और लिखने का शौक़ रखते थे। मुंबई में, अमानुल्लाह की सलाहियत से फ़िल्मी दुनिया के लोग वाकिफ़ थे और आगे जा कर इन्होंने, “मुग़ल-ए-आज़म” और “पाकीज़ा” कीपटकथा भी लिखी। मशहूर अभिनेत्री, ज़ीनत अमान, अमानुल्लाह ख़ान की बेटी हैं और इस तरीके से मुराद की भांजी भी। मुंबई में, 1943 में, महबूब ख़ान की फ़िल्म, “नजमा” से इन्होंने शुरुआत की और इस फ़िल्म में वे मशहूर अभिनेता अशोक कुमार केपिता के किरदार में नज़र आए। इसके बाद, ये महबूब ख़ान की हर फ़िल्म का हिस्सा बन गए। आने वाले सालों में, “अनमोल घड़ी”, “आन”,...