बॉम्बे टॉकीज में एक दिन मीना कुमारी ने महमूद को टेबल टेनिस खेलते हुए देखा। उसके खेल से प्रभावित होकर मीना कुमारी ने महमूद को 100 रुपए महीना उनके घर टेबल टेनिस सीखने को कहा, संघर्ष के दिन थे इसलिए महमूद राजी हो गए। अब रोज वो मीना कुमारी को उनके घर टेबल टेनिस सिखाते, साथ में मीना कुमारी की बहन मधु भी उनसे टेबल टेनिस सीखती। ऐसे ही करते करते मधु और महमूद में इश्क के अंकुर फूट पड़े। महमूद एक गरीब परिवार से और मधु मीना कुमारी जैसी बड़ी अभिनेत्री की बहन। इसलिए मधु के पिता अली बख्श को ये रिश्ता मंजूर नहीं हुआ और मधु के घर से बाहर निकलने की पाबंदियां लगा दी गई। लेकिन एक दिन मधु किसी तरह घर से भाग कर महमूद के घर पहुंच गई। महमूद की अम्मी और बहन ने जब महमूद से उसके बारे में पूछा तो महमूद ने उसको सिर्फ अपना एक दोस्त और मीना कुमारी की बहन ही बताया। पर महमूद की मां सब माजरा समझ गई थी। उन्होंने मधु से प्यार से पूछा तो उसने सब बता दिया। महमूद की अम्मी ने मधु को कहा कि बेटा हम गरीब लोग है, तुम्हारे खानदान और हम में जमीन आसमान का फर्क है। इसलिए तुम दोनो जो चाहते हो वो नही हो सकता । महमूद की अम्मी ने महमूद को मधु को उसके घर छोड़कर आने को कहा। महमूद मधु को उसके घर की बजाय मलाड स्टेशन ले गए और मधु को उधर बिठा कर कहा कि तुम मेरा यही इंतजार करो, मैं अभी अपनी मां को राजी करके आता हूं। महमूद ने घर आकर अपनी अम्मी से कहा की मधु गर्भवती है,अगर हमारी शादी नही हुई तो वो ट्रेन से कटकर अपनी जान दे देगी। महमूद की अम्मी घबरा गई कि अगर ये सच है तो गजब हो जायेगा। इसलिए महमूद की अम्मी ने महमूद को मधु को साथ में घर लाने को कहा। इस तरह महमूद झूठ बोलकर मधु को घर तो ले आए लेकिन ये झूठ ज्यादा दिन नहीं चला। महमूद की अम्मी ने पड़ोस की दाई को बुलाकर मधु की जांच करवाई तो पता लग गया की मधु गर्भवती नहीं है। महमूद की अम्मी ने जब दोनो को फिर से समझाया तो दोनो इस बात पर अड़ गए कि अगर दोनो की शादी नही हुई तो दोनो अपनी जान दे देंगे। आखिर में महमूद की अम्मी को उनकी बात माननी पड़ी और 4 सितंबर 1953 को दोनो ने निकाह कर लिया ।