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मीना कुमारी और धर्मेंद्र की प्रेम कहानी और उसका अंत।

मीना कुमारी अपनी पूरी जिंदगी मानसिक और भावनात्मक रूप से घुटती रही सिसकती रही। कई लोग उनके साथ भावनात्मक रूप से जुड़ते रहे लेकिन मतलब पूरा होता ही वो भी अलग हो गए। इन कई लोगो का नाम गिना जाए तो इनमे से एक नाम धर्मेद्र का भी आता है। धर्मेद्र का फिल्मी करियर बनाने और इंडस्ट्री में उनको स्थापित करने में जिस इंसान का सबसे बड़े हाथ था वो मीना कुमारी ही थी। ये सब करने का कारण ये था कि मीना कुमारी धर्मेंद्र से बहुत प्यार करती थी। मीना कुमारी ने कई निर्माताओं के सामने ये शर्त भी रखी थी कि वो उनकी फिल्मों में तभी काम करेगी अगर फिल्म का हीरो धर्मेद्र होगा। निर्माता उनकी बात मान भी लेते थे क्योंकि वो बहुत बड़ी स्टार अभिनेत्री थी। यही वजह है कि 1964 से 1968 तक मीना कुमारी और धर्मेद्र ने कई फिल्मों में साथ में काम किया, जैसे कि मैं भी लड़की हूं, पूर्णिमा, काजल, फूल और पत्थर, मंझली दीदी, चंदन का पलना, बहारों की मंजिल इत्यादि। इन फिल्मों की वजह से धर्मेद्र और मीना कुमारी के इश्क के चर्चे जगजाहिर हो चुके थे। फिल्म फूल और पत्थर की अपार सफलता के बाद जब धर्मेंद्र स्टार बन गए तब व्यस्त होने की वजह से वो मीना कुमारी से दूर होते चले गए। यहां तक कि जब मीना कुमारी बीमार हो गई तो भी धर्मेंद्र उन्हें समय नहीं दे पाए। धीरे धीरे इन दूरियों और खटास ने इस रिश्ते को तोड़ दिया। हालांकि इस रिश्ते के टूटने का मीना कुमारी को धर्मेंद्र से ज्यादा गम था क्योंकि वो जिंदगी भर एक सहारा ही ढूंढती रही और धर्मेंद्र भी उनमे से एक थे लेकिन उनको इधर भी कोई सहारा नहीं मिला। इस रिश्ते के टूटने के बाद के आसिफ की फिल्म लव एंड गॉड की एक पार्टी जो जुहू के सन एंड सेंड होटल में आयोजित हुई थी, धर्मेंद्र और मीना कुमारी का आमना सामना हुआ। इस पार्टी में कई फिल्मी हस्तियां शामिल थी। धर्मेंद्र और मीना कुमारी ने एक पल एक दूसरे को देखा लेकिन धर्मेद्र आगे बढ़ गए दूसरी हस्तियों से मिलने। बीच बीच में धर्मेंद्र मीना कुमारी को देखते तो जरूर पर उनका हालचाल पूछने तक नहीं आ आए। मीना कुमारी का दिल टूट गया और इसी दुख और पीड़ा को सहन करते हुए वो उसी वक्त पार्टी छोड़कर चली गई।

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