60 के शुरुआती दशक में एक बार राजकपूर रूस के ताशकंद में एक स्टेज शो के लिए गए। उधर वो अपने साथ गायक महेंद्र कपूर को भी ले गए। रूस में राजकपूर बहुत प्रसिद्ध थे। उस स्टेज शो में राजकपूर ने अपनी फिल्मों के गाने गाए और उनका साथ महेंद्र कपूर ने हारमोनियम बजा कर दिया। महेंद्र कपूर ने इस स्टेज शो के लिए हिंदी गानों का रूसी भाषा में रूपांतरण कर रखा था। जब महेंद्र कपूर के गाने की बारी आई और उन्होंने अपने गीत गाए तो दर्शक झूम उठे। एक बार फिर, एक बार फिर करके दर्शकों की मांग होने लगी। जब राजकपूर ने ये नजारा देखा तो महेन्द्र कपूर को कहा, देखा, एक कपूर ही दूसरे कपूर को मात दे सकता है। राजकपूर महेंद्र कपूर से इस तरह प्रभावित हुए कि उन्होंने बोला, मैं चाहता था की तुम मेरी फिल्मों में गीत गाओ पर मैं चाह कर भी ऐसा नहीं कर सकता क्योंकि तुम तो जानते हो मेरी आवाज मुकेश है। जवाब में मुकेश ने कहा कि मुकेश मेरे बहुत अच्छे मित्र हैं इसलिए मैं चाहता भी नही की मैं आपके लिए अपनी आवाज दूं। राजकपूर ने कहा कि लेकिन मैं तुमसे वादा करता हूं की मेरी अगली फिल्म में जो दूसरा हीरो होगा उसके गीतों को आवाज तुम ही दोगे। जवाब में महेंद्र कपूर मुस्कुराए और कहा कि आप बड़े आदमी है, आपको किधर अपना वादा याद रहेगा। ऐसा मजाक न करे, यहां से जाने के बाद आप सब भूल जायेंगे। उस वक्त राजकपूर सिगरेट पी रहे थे, उन्होंने जलती हुई सिगरेट से अपने हाथ में एक निशान बना दिया और कहा की ये निशान मुझे हमेशा तुम्हे किया वादा याद दिलाता रहेगा। इस घटना के बाद जब दोनो वापस भारत आए तो राजकपूर ने अपनी अगली ही फिल्म संगम के लिए फिल्म के दूसरे हीरो राजेंद्र कुमार का गीत महेंद्र कपूर से गंवाया। गीत के बोल थे, हर दिल जो प्यार करेगा वो गाना गाएगा।