धर्मेंद्र ने जंजीर की पटकथा सलीम-जावेद से खरीदी थी। उसी समय प्रकाश मेहरा ‘समाधि’ नाम से फिल्म बनाने की प्लानिंग कर रहे थे। इसके बारे में धर्मेंद्र को खबर लगी, तो उन्होंने ‘समाधि’ के बदले ‘जंजीर’ की पटकथा मेहरा को दे दी।’
अब यह फिल्म धर्मेंद्र और एक्ट्रेस मुमताज़ फाइनल कर दी गईं। फिल्म की अनाउंसमेंट हो गई। फिल्म फ्लोर पर जाने का इंतज़ार करती रही, क्योंकि धर्मेंद्र उन दिनों काफी व्यस्त थे। ऐसे में दो साल निकल जाने के बाद प्रकाश मेहरा ने आखिरकार धर्मेंद्र से पूछ ही लिया कि करना क्या है इस फिल्म का?…इसके जवाब में धर्मेंद्र ने कहा कि फिल्म में काम नहीं कर पाऊंगा, लेकिन प्रोड्यूस कर दूंगा। तुम किसी और को कास्ट कर लो।
इसके बाद लीड एक्टर की तलाश शुरू हुई। प्रकाश मेहरा, देव आनंद के पास पहुंचे। देव आनंद रोमांटिक हीरो थे इसलिए उनको एंग्री यंग मैन का रोल पसंद नहीं आया। फिर स्क्रिप्ट पहुंची दिलीप कुमार के पास। दिलीप कुमार ने कहा कि फिल्म का कैरेक्टर काफी सपाट है। इसमें कोई कैसे परफॉर्म करेगा। इसलिए दिलीप कुमार ने भी फिल्म से जुड़ना उचित नहीं समझा।
अब प्रकाश मेहरा, राज कुमार के पास पहुंचे। राज कुमार को स्क्रिप्ट काफी पसंद आई, लेकिन कुछ शर्तें रखी। जैसे कि फिल्म को माहिम के बदले मद्रास में लोकेट करो।
मुमताज की जगह साधना को कास्ट करों। सिर पर बदबूदार बिजनौरी तेल मत लगाओ।
राज कुमार की यह शर्तें प्रकाश मेहरा को पसंद नहीं आयी और नए चेहरे की तलाश में जुट गए। तभी अभिनेता प्राण ने अमिताभ बच्चन का नाम सुझाया, तो प्रकाश मेहरा को भी फिल्म ‘बॉम्बे टू गोवा’ याद आ गयी। इस तरह से अमिताभ को अपनी फिल्म में कास्ट कर लिया।
फिल्म ‘जंजीर’ की कास्टिंग टेढ़ी खीर रही है। जैसे-तैसे करके अमिताभ फाइनल हुए, तो फिल्म की हीरोइन मुमताज़ ने फिल्म से हाथ खींच लिया।अमिताभ बच्चन के साथ एक और फ्लॉप फिल्म मुमताज़ नहीं देना चाहती थीं।
फिर अमिताभ की सिफारिश पर जया बच्चन को लिया गया।इस फिल्म ने अमिताभ को रातों रात स्टार बना दिया था।