1966 में निर्देशक तापसी चाणक्य एक फिल्म बना रहे थे, राम और श्याम। फिल्म में दिलीप कुमार की दोहरी भूमिका थी और हीरोइन के लिए वहीदा रहमान और माला सिन्हा से बात की गई, लेकिन माला सिन्हा ने वहीदा रहमान द्वारा निभाए जाने वाले रोल करने की बात सामने रखी। उनका कहना था कि जो रोल वो दे रहे है वो छोटा है और वहीदा रहमान द्वारा निभाए रोल के मुकाबले कमजोर है। क्योंकि वो वहीदा रहमान के साथ गुरुदत्त की फिल्म प्यासा में साथ में काम कर चुकी थी इसलिए वो वहीदा रहमान के रोल से कमतर रोल नहीं करना चाहती थी। काफी बातचीत होने के बाद जब बात नही बनी तो माला सिन्हा ने फिल्म करने से इंकार कर दिया। ये बात दिलीप कुमार को पता लगा जिसकी चर्चा उन्होंने अपने दोस्त महमूद से भी की। महमूद ने उनको मुमताज का नाम सुझाया जो महमूद के साथ जोड़ी में कुछ कॉमेडी रोल वाली भूमिका कर चुकी थी। इसके अलावा मुमताज ने अपने शुरआती करियर में दारा सिंह की साथ कुछ हिट एक्शन फिल्में की थी जिसे बी ग्रेड की फिल्मे कहा गया । मुमताज ने महमूद से बड़ी फिल्मों में हीरोइन बनने के सपने की बात भी की थी। दिलीप कुमार ने ये बात राम और श्याम के निर्देशक तापसी को बताई। इस तरह मुमताज को राम और श्याम में दिलीप कुमार की हीरोइन बनने का मौका मिला। इस फिल्म की वजह से मुमताज को बड़ी फिल्मों के ऑफर भी आने लगे और इस फिल्म के लिए सर्वोत्तम सहायक अभिनेत्री के लिए फिल्मफेयर अवार्ड में नामांकित भी किया गया।