फिल्म जाने भी दो यारों को बनाने में निर्देशक कुंदन शाह को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। फिल्म का बजट अधिक नहीं था और जैसे तैसे करके फिल्म बनी और रिलीज हुई लेकिन जल्दी ही सिनेमा से बेशक उतर गई लेकिन आज भीं ये फिल्म भारत की सबसे बेहतरीन कॉमेडी फिल्मों में गिनी जाती है और देखी जाती है। इस फिल्म के हर किरदार को आज भी याद किया जाता है लेकिन फिल्म में एक और किरदार भी था, डिस्को किलर का। इसको करने के लिए फिल्म का हर कलाकार उत्सुक था लेकिन ये रोल मिला अनुपम खेर को। ये वो वक्त था जब अनुपम खेर को कोई फिल्म नहीं मिली थी। डिस्को किलर का रोल ये था कि उसको बिना चश्मे के एक के चार दिखते है और चश्मे के साथ एक के दो। उसे सुनाई भी कम देता है पर वो है एक खतरनाक हत्यारा जिसका निशाना अचूक था। फिल्म का हर एक्टर अनुपम खेर से जल रहा था कि उनको ये रोल मिल कैसे गया। फिल्म बनकर जब पूरी हुई तो अनुपम खेर का किरदार फिल्म के सब किरदारों में से सबसे बेहतरीन निकल कर आया। अनुपम खेर को लगने लगा कि ये फिल्म उनको अब कुछ फिल्में जरूर दिलवाएगी। लेकिन फिल्म की अवधि हो गई 3 घंटा 15 मिनट। इस फिल्म को फाइनेंस किया था सरकारी संस्था एन एफ डी सी ने। एन एफ डी सी के नियमों के अनुसार 2 घंटा 25 मिनट की अवधि से कम अवधि की फिल्म का टैक्स कम था और उससे ज्यादा अवधि की फिल्म का टैक्स ज्यादा। निर्देशक कुंदन शाह फिल्म के बजट के अनुसार अधिक टैक्स देने की हालत में नहीं थे इसलिए फिल्म की अवधि को 2 घंटा 24 मिनट तक ही करना पड़ा जिसकी वजह से डिस्को किलर का वो अनुपम खेर का रोल पूरा का पूरा हटाना पड़ा। अब वही अनुपम खेर जो सबकी ईर्ष्या का पात्र बन गए थे अब सबकी दया का पात्र बन गए क्योंकि तब अनुपम खेर के पास बस यही एक मात्र फिल्म थी। लेकिन अनुपम खेर की किस्मत में महेश भट्ट की सारांश ही लिखी थी जो उन्हे बाद में मिली और उन्होंने पीछे मुड़कर नही देखा।