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मौसी से उधार मांगकर पहुंचे मुंबई, 1931 में 1 फिल्म से चमकी किस्मत, आज चौथी पीढ़ी कर रही इंडस्ट्री पर राज

एक्टिंग की दुनिया में कुछ एक्टर तो ऐसे भी हैं, जिनकी पीढियां सालों से इंडस्ट्री पर राज कर रही हैं. पहले उनके बच्चे फिर उनके पोते और अब चौथी पीढ़ी पर बॉलीवुड में दमदार किरदार निभाकर धाक जमाए हैं. ऐसे ही एक्टर के बारे में हम आप को बता रहे जो कभी अपनी बुआ से पैसे उधार लेकर मुंबई आए थे. लेकिन आज उसी शख्स के परिवार का इंडस्ट्री में बड़ा नाम है।

हिंदी सिनेमा को वो सितारा जिसने 1931 में अपनी एक फिल्म में साबित कर दिया था कि वह इंडस्ट्री में एक नया बदलाव लेकर आने वाला है. अपनी एक्टिंग से जिन्होंने सालों तक इंडस्ट्री पर राज किया. कपूर खानदान का वो सितारा जिसने जिसने अपने हर करिदार में प्राण फूंक दिए थे. जी नहीं वो राज कपूर नहीं है. वो एक ऐसे शख्स हैं जो फिल्मों में काम करते हुए भी थिएटर की ओर रुझान रखा और 1944 में पृथ्वी थिएटर की स्थापना की।

कपूर खानदान के ज्यादातर सदस्य फिल्मी दुनिया में नजर आ चुके हं. इनमें कुछ तो फिल्मी दुनिया में जगह बनाने में कामयाब रहे लेकिन कुछ एक या दो फिल्मों के बाद गुमनाम हो गए. लेकिन वहीं कुछ तो बिल्कुल सफलता का स्वाद नहीं चख पाए. लेकिन हम बात कर रहे हैं 1931 में उन्हें पहली बोलती फिल्म ‘आलम आरा’ में सहायक अभिनेता के रूप में काम करने वाले जाने माने अभिनेता पृथ्वीराज कपूर की. जिन्हें असल मायने में पहचान साल 1934 में देवकी बोस की फिल्म ‘सीता’ की में अहम भूमिका निभाने के बाद मिली थी. इसी फिल्म से वह अपनी पहचान बनाने में सफल हुए थे।

मौसी से रुपए उधार मांगकर पहुंचे मुंबई

पृथ्वीराज ही वो महान शख्स थे, जिन्होंने फिल्म दुनिया में एंट्री ली और फिर पीढ़ी दर पीढ़ी ये परंपरा आज तक चली आ रही है. उन्हें भारतीय सिनेमा का युगपुरुष भी कहा जाता था. सिनेमा की दुनिया में तो उन्हें ‘पापाजी’ कहकर भी पुकारा जाता था. कहा जाता है कि वह शुरुआत से ही एक्टिंग में करियर बनाना चाहते थे. साल 1928 में वह अपना सपना पूरा करने के लिए अपनी मौसी से कुछ रुपए उधार मांगकर मुंबई पहुंचे थे. करियर के शुरुआत करना उनके लिए भी आसान काम नहीं था. एक्टर ने उस दौर में काफी संघर्ष किया था. एक्टर होने के साथ-साथ वह एक जाने माने थिएटर आर्टिस्ट भी थे।

यूं चमकी थी किस्मत

हिंदी सिनेमा में पृथ्वीराज कपूर का योगदान शायद ही कभी भुलाया जा सके. जब वह मुंबई आए तो उन्होंने बतौर थिएटर आर्टिस्ट काम करना शुरू कर दिया था. लेकिन एक्टिंग में करियर बनाने का पहला मौका उन्हें साल 1931 में फिल्म ‘आलम आरा’ में एक सहायक भूमिका निभाकर मिला था. इस फिल्म की एक खास बात ये भी थी कि वह भारतीय सिनेमा की पहली बोलने वाली फिल्म थी. दिवंगत अभिनेता पृथ्वी राजकपूर ने अपने करियर में एक के बाद एक कई शानदार किरदार निभाए थे. . उन्होंने ‘मुगल-ए-आजम’, ‘आवारा’ और सिकंदर जैसी फिल्मों में भी अहम भूमिका निभाई थी।

आज उनकी चौथी पीढ़ी में रणबीर कपूर फिल्म इंडस्ट्री में अपनी धाक जमाए हुए हैं. हाल ही में उनकी फिल्म एनिमल रिलीज हुई है जो दर्शकों का दिल जीत रही है. बहुत कम लोग जानते हैं कि 1951 में आई फिल्म आवारा में पृथ्वीराज कपूर की तीन पीढ़िया एक साथ नजर आई थीं. इसमें खुद पृथ्वीराज कपूर उनके बेटे राज कपूर और पिता बशेश्वर नाथ कपूर नजर आए थे. इतना ही नहीं खुद शशि कपूर भी फिल्म में नजर आए थे।

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