सदी के महानायक अमिताभ बच्चन की फिल्म ‘शराबी’ जो साल 1983 में रिलीज हुई थी। इस फिल्म को प्रकाश मेहरा ने डायरेक्ट किया था
सदी के महानायक अमिताभ बच्चन की फिल्म ‘शराबी’ जो साल 1983 में रिलीज हुई थी. इस फिल्म को प्रकाश मेहरा ने डायरेक्ट किया था. उन्हीं दिनों सिनेमाघरों से अमिताभ बच्चन की एक और फिल्म कूली उतरी थी और ‘शराबी’ लग गई थी. कूली को मनमोहन देसाई ने डायरेक्ट किया था. दोनों फिल्मों के डायरेक्टरों में शीत युद्ध चल रहा था, क्योंकि उस जमाने में सिनेमाघरों की भारी कमी हुआ करती थी. मनमोहन देसाई अपनी फिल्म के अलंकार थिएटर से हटाए जाने पर काफी गुस्सा थे और इसी गुस्से में आकर उन्होंने प्रकाश मेहरा की फिल्म के लिए कुछ ऐसा कह दिया कि प्रकाश मेहरा और उनके बीच तनातनी हो गई. मनमोहन ने कह दिया- ‘एक शराबी, शराबी जैसी फिल्म ही बना सकता है.’ ये सुनकर प्रकाश मेहरा भी कहां चुप रहने वाले थे, उन्होंने भी कह दिया- ‘किसी की इतनी गंदी सोच कुली बनाने वाले इंसान की ही हो सकती है.’ खैर ये सिलसिला तो लंबा चला था, लेकिन हकीकत तो यही है कि मनमोहन देसाई की फिल्म थिएटर से उतरी और प्रकाश मेहरा की लगी, फिल्म दर्शकों को खूब पसंद आई और हिट साबित हुई. आइए इसी फिल्म से जुड़े कुछ अनसुने किस्से आपको बताते हैं.
फिल्म ‘शराबी’ के लिए साल 1984 के फिल्मफेयर पुरस्कारों में बेस्ट प्लेबैक सिंगर के लिए सिंगर किशोर कुमार को जो चार बार नॉमीनेशन मिला. ये पहला और कह सकते हैं कि आखिरी मौका था जब फिल्मफेयर के पुरस्कारों में एक ही कैटेगरी के सारे नॉमीनेशन एक ही सिंगर को मिले थे वो भी एक ही फिल्म के लिए. सिंगर किशोर कुमार को’ मंजिलें अपनी जगह हैं रास्ते अपनी जगह’ के लिए अवार्ड भी मिला था और बप्पी लाहिड़ी को बेस्ट संगीतकार का अवार्ड मिला. आपको बता दें कि उस साल अमिताभ की इस फिल्म को फिल्मफेयर पुरस्कारों में कुल 9 नॉमीनेशन मिले थे. हालांकि बेस्ट एक्टर का अवार्ड अनुपम खेर को फिल्म ‘सारांश’ के लिए मिला था.
फिल्म “शराबी की शूटिंग के दौरान दीवाली के एक पटाखे की वजह से मेरा हाथ जख्मी हो गया था और तंदूरी चिकन बन गया था, मगर फिर भी मैंने शूटिंग जारी रखी.’
अगर आपको याद हो तो फिल्म में अमिताभ ज्यादातर अपने एक हाथ को जेब में डाले रहते हैं वो इसी वजह से था, क्योंकि उनका हाथ काफी झुलस गया था.