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इस महान इंसान के गीत को सुनने के लिए एक मलयाली श्रोता ने हिन्दी सीखी

संगीत का जादू ऐसा होता है कि वह न सिर्फ भाषा की सीमाओं को पार कर जाता है, बल्कि दिलों की दूरियों को भी मिटा देता है। एक ऐसी ही मार्मिक और प्रेरणादायक कहानी जुड़ी है संगीत के महान कलाकार हेमंत कुमार के एक गीत से, जिसने सैकड़ों किलोमीटर दूर बैठे एक अनजान व्यक्ति के जीवन में बदलाव ला दिया।

यह वह दौर था जब टीवी का प्रसार शुरू हो चुका था, लेकिन रेडियो का आकर्षण अब भी लोगों के जीवन का अभिन्न हिस्सा था। विविध भारती जैसे कार्यक्रमों में बजते पुराने गीतों का आनंद हर घर में लिया जाता था। एक ऐसी ही रात थी, जब विविध भारती पर हेमंत कुमार का अमर गीत “ना तुम हमें जानो, ना हम तुम्हें जाने” प्रसारित हो रहा था। उस समय यह गीत न केवल उत्तर भारत के श्रोताओं तक, बल्कि सुदूर दक्षिण के केरल राज्य तक भी पहुँच रहा था।

केरल में एक व्यक्ति, जो केवल मलयालम संगीत सुनता था, उस रात रेडियो के पास बैठा था। उसे हिंदी के शब्द तो समझ नहीं आते थे, लेकिन हेमंत कुमार की मिश्री जैसी मीठी आवाज़ ने उसके दिल को छू लिया। गीत की धुन और आवाज़ इतनी गहरी थी कि वह व्यक्ति मंत्रमुग्ध होकर उसे सुनता रह गया। उसके लिए यह पहली बार था, जब उसने हिंदी गीत के प्रति इतनी गहरी रुचि महसूस की।

यह अनुभव इतना अद्भुत था कि उस व्यक्ति ने हिंदी सीखने का निश्चय कर लिया। धीरे-धीरे, विभिन्न माध्यमों का सहारा लेकर उसने हिंदी को समझना शुरू किया, और फिर हेमंत कुमार के अन्य गीतों को भी सुनने लगा। उसकी यह यात्रा केवल भाषा सीखने की नहीं थी, बल्कि संगीत के माध्यम से एक नई संस्कृति को आत्मसात करने की भी थी।

यह कहानी इस बात का प्रतीक है कि संगीत केवल ध्वनियों का खेल नहीं, बल्कि दिलों की भावनाओं का संगम होता है। हेमंत कुमार की आवाज़ ने न जाने कितने लोगों को हिंदी गीतों से जोड़ा और उनकी आत्मा में बसी एक मीठी अनुभूति को जगाया।

आइए इस सुमधुर घटना को याद करते हुए उनके गीतों का आनंद लें और उनके द्वारा हमें दिए गए अनमोल संगीत को सहेज कर रखें। हेमंत जी के गीत सदैव हमारे दिलों में बसे रहेंगे, और उनकी आवाज़ की मिठास हमें हमेशा एकजुट करती रहेगी।

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