फिल्म ‘वास्तव’ ने ही मुझे असल में ये सिखाया कि एक्टिंग करना किसे कहते हैं और एक एक्टर होना क्या होता है?’ फिल्म ‘वास्तव’ संजय दत्त के दिल के बहुत करीब रही फिल्म है। इसी फिल्म ने उन्हें उनके करियर का पहला बेस्ट एक्टर फिल्मफेयर पुरस्कार दिलाया और यही वह फिल्म है जिसके क्लाइमेक्स ने उन्हें अपने माता पिता नरगिस और सुनील दत्त की फिल्म ‘मदर इंडिया’ की याद करके खूबरुलाया।
महेश मांजरेकर की पहली हिंदी फिल्म
ये उन दिनों की बात है जब मराठी फिल्म इंडस्ट्री में महेश मांजरेकर का नाम होना शुरू ही हुआ था। साल 1995 में जब पूरा देशशाहरुख खान की फिल्म ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ के पीछे पागल था तो मराठी भाषा की एक फिल्म ‘आई’ मुंबई, पुणे, कोल्हापुरऔर नागपुर में खूब वाहवाही पा रही थी। महेश को इस फिल्म की शोहरत का फायदा मिला अपनी पहली हिंदी फिल्म ‘निदान’ पाने में।लेकिन, तभी उनकी मुलाकात संजय दत्त से हो गई। संजय दत्त को किसी ने ‘आई’ के बारे में बता रखा था, एक दिन संजय दत्त किसीफिल्म की शूटिंग कर रहे थे तो उन्हें याद आया महेश मांजरेकर ने उन्हें किसी कहानी के बारे में बताया था। महेश को फोन आया कि सेटपर आकर मिलो और अपनी स्क्रिप्ट का नरेशन दे दो। नरेशन भला क्या देते महेश, स्क्रिप्ट ही उनकी तैयार नहीं थी। वह टेंशन में आ गए।एक होटल में बैठे बैठे दो चार पैग मारे और बताते हैं वहीं वेटर का पेन मांगकर कागज पर लिखने लगे। एक बार लिखने लगे तोसिलसिला कुछ यूं बना कि आधे घंटे के अंदर महेश ने अपनी फिल्म के 20 सीन का खाका खींच डाला। यही कागज लेकर महेशमांजरेकर पहुंच गए संजय दत्त से मिलने। आधे घंटे में लिखी गई स्क्रिप्ट को संजय दत्त ने बस 15 मिनट सुना और फैसला कर लिया किउन्हें ये फिल्म करनी है। यही फिल्म थी, ‘वास्तव- द रियलिटी’। 7 अक्टूबर 1999 को रिलीज हुइ फिल्म ‘वास्तव- द रियलिटी’ नेसंजय दत्त का करियर 20 साल और खींच दिया। ये फिल्म शुरू हुई थी ‘निदान’ के बाद लेकिन रिलीज हुई उससे पहले।
लगातार फ्लॉप फिल्मों से मिली मुक्ति
साल 1993 में रिलीज हुई सुभाष घई की फिल्म ‘खलनायक’ के बाद छह साल तक संजय दत्त की कोई भी फिल्म बॉक्स ऑफिस परकमाल नहीं दिखा पाई। बीच में उन्हें लंबा समय जेल में भी बिताना पड़ा। साल 1999 एक तरह से संजय दत्त के लिए काफी लकी रहा।पहले डेविड धवन ने उन्हें गोविंदा के साथ ‘हसीना मान जाएगी’ में मौका दिया, ये फिल्म हिट रही। इसके बाद सोलो हीरो के तौर परफिल्म ‘वास्तव’ ने उनको वापस ए लिस्टर अभिनेता की लीग में बैठा दिया। तब से 21 साल हो गए इस फिल्म को रिलीज हुए। संजयदत्त और महेश मांजरेकर ने इसके बाद साथ में कुछ और फिल्में भी कीं लेकिन ‘वास्तव’ जैसा करिश्मा फिर दोहराया न जा सका। उसवक्त संजय दत्त के चेहरे पर एक अलग ही गुस्सा और एक अलग ही दर्द दिखता था।
मराठी सिनेमा के कलाकारों का कमाल
खैर, महेश मांजरेकर की फिल्म संजय दत्त के कमाल के अभिनय की वजह से तो जानी ही जाती है, महेश ने इसमें एक प्रयोग औरकिया। इस फिल्म में उनकी मराठी मंडली के तमाम कलाकारों ने अद्भुत अभिनय किया है। संजय नार्वेकर अब बड़े अभिनेता हो चुके हैं।लेकिन, इस फिल्म में वह पहली बार डेढ़ फुटिया के रोल में नजर आए और संजय दत्त के साथ बनी उनकी केमिस्ट्री ने फिल्म को बहुतफायदा पहुंचाया। इसके अलावा नम्रता शिरोडकर, परेश रावल और मोहनीश बहल ने भी बढ़िया काम किया है इस फिल्म में। लेकिन, जो कलाकार इस फिल्म में संजय दत्त पर भी भारी पड़ा, वह रहीं रीमा लागू। मां के किरदार में जो तड़प, जो वेदना और जो लाचारी रीमालागू ने परदे पर दिखाई, वैसे मां के किरदार हिंदी सिनेमा में गिनती के देखने को मिले हैं। मुंबइया अंडरवर्ल्ड पर यूं तो तमाम फिल्में बनीहैं, लेकिन किसी अपराधी के अपनी मां से रिश्ते का जैसा भाव महेश मांजरेकर ने फिल्म ‘वास्तव- द रियलिटी’ में परदे पर दिखाया, वहबेजोड़ है। फिल्म में संजय दत्त और रीमा लागू के सारे सीन गजब के हैं लेकिन क्लाइमेक्स के अलावा जो एक सीन लोगों को अब भीयाद है, वह था पचास तोले वाला सीन। बेटा मां को अपनी तरक्की सोने की कमाई से गिनवा रहा है और मां सोच रही है कि बेटे ने पैसातो खूब कमाया पर बेटा कहलाने का हक खो दिया। इसी इमोशनल ड्रामा को कैश कराने के लिए महेश मांजरेकर ने बाद में फिल्म‘वास्तव- द रियलिटी’ की सीक्वेल भी बनाई फिल्म ‘हथियार’ के नाम से लेकिन मामला दोबारा जमा नहीं। फिल्म ‘वास्तव- दरियलिटी’ में संजय दत्त, रीमा लागू और दूसरे तमाम मराठी अभिनेताओं ने तो रंग जमाने लायक काम किया ही। फिल्म के म्यूजिक ने भीइसका खूब साथ दिया। महेश मांजरेकर की मित्र मंडली ने यहां भी खूब धमा चौकड़ी मचाई। राहुल रानाडे, रवींद्र साठे और अतुल कालेने विनोद राठौड़ के साथ गायिकी का मैदान संभाला। फिल्म के लिए रिकॉर्ड की गई आरती आज भी महाराष्ट्र के कोने कोने में उसी लयमें गाई जाती है।
फिल्म ‘वास्तव- द रियलिटी’ की शोहरत दक्षिण भारत तक पहुंची और इस फिल्म का साल 2006 में तमिल रीमेक भी बना, फिल्म‘डॉन चेरा’ के नाम से।