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लग जा गले लिखकर अमर हो चुके राजा मेंहदी अली ख़ान

राजा मेंहदी अली_ख़ान का जन्म 23 सितम्बर 1915 में झेलम ज़िले के एक ऊँचे घराने में हु। कुछ लोगों का दावा है कि जन्म1928 में हुआ था)। इनके पिता बहावलपुर स्टेट के प्रधान मन्त्री थे। अभी राजा मेंहदी केवल चार वर्ष के ही थे जब इनके पिता कादेहान्त हो गया। इनकी माँ हेबे साहिबा स्वयं एक शायरा थी। कहा जाता है कि ‘सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्ताँ हमारा’ लिखने वाले शायरअल्लामा इकबाल भी हेबे साहिबा की शायरी को सम्मान की नज़र से देखते थे।राजा मेंहदी अली ख़ान ने दिल्ली के ऑल इण्डिया रेडियो में काम करना शुरू कर दियायहाँ उनकी मुलाक़ात हुई उर्दू के बड़े लेखक सआदत हसन मण्टो से दोनों में दोस्ती होने के कुछ ख़ास कारण भी थे कि दोनों पंजाबी थे; दोनों को ही ह्यूमर पसन्द था; दोनों को पढ़नेका शौक़ था; और शाम को दोनों को बोतल की दरकार होती थी। मण्टो उन्हें बम्बई ले गए। मुम्बई में मण्टो, एक्टर श्याम और राजा मेंहदी अली ख़ान एक ही घर में रहते थे उस वक़्त के बारे में मण्टोकहते हैं, “बँटवारे के कुछ ही महीने पहले श्याम भी हमारे साथ ही रहने आ गया। ये कड़की का ज़माना था।हमारे पास पैसे नहीं होते थेमगर दारू का दौर चलता रहता था। राजा (मेंहदी) को स्प्रिंग वाली मैट्रेस वाले पलंग पर सोने की आदत नहीं थी।श्याम ब्राण्डी का एकपटियाला पैग बना कर राजा को देता और कहता, “इसे चढ़ा जाओ, बस, उसके बाद तुम घोड़े बेच कर सो जाओगे।”मुम्बई में एस० मुखर्जी किसी नए गीतकार की तलाश कर रहे थे। मण्टो ने राजा मेंहदी को एस० मुखर्जी से मिलवाया .एस० मुखर्जी ने उन्हें अपनी फ़िल्म ‘दो भाई’ के गीत लिखने की ज़िम्मेदारी सौंप दी। जब भारत का बँटवारा हुआ तो बहुत से मुसलमान भारत से पाकिस्तान के लिए सपरिवार निकल पड़े और अधिकांश  हिन्दू पाकिस्तान से नए भारत के लिए मगर एक ऐसा भी इनसान था, जो था तो मुसलमान और पैदा भी उस इलाक़े में हुआ था, जो अब पाकिस्तान का हिस्सा बन रहा था, मगर उसने बँटवारे के समय अपनी पत्नी ताहिरा के साथ पाकिस्तान से भारत में आना बेहतर समझा। इस महान् इंसान का नाम था राजा मेंहदी अली ख़ान, जिसने हिन्दी सिनेमा के लिये कुछ अद्भुत गीतों का सृजन किया।  1947 में जब यह फ़िल्म रिलीज़ हुई तो इसके दो गीतों ने तहलकामचा दिया – ‘मेरा सुन्दर सपना बीत गया’ और ‘याद करोगे, याद करोगे, इक दिन हमको याद करोगे।’ दोनों ही गीत गीता दत्त ने गाएथे। संगीतकार थे सचिन देव बर्मन यानि कि पहली ही फ़िल्म ने राजा मेंहदी अली ख़ान को ऊँची ब्रेकेट में ला खड़ा किया था।वैसे राजा मेंहदी ने 1946 की अशोक कुमार अभिनीत फ़िल्म ‘8-डेज़’ में अभिनय भी किया था।1948 में रिलीज़ हुई दिलीप कुमार, कामिनी कौशल एवं चन्द्रमोहन अभिनीत फ़िल्म में ग़ुलाम हैदर के संगीत में राजा मेंहदी अली खान ने उस साल का सबसे बड़ा देशप्रेम का गीत लिख कर तहलका मचा दिया। भारत के बच्चे बच्चे की ज़ुबान पर था – ‘वतन की राह में, वतनके नौजवाँ शहीद हों।’ इस गीत का अन्तरा पूरी तरह से साहित्यिक था –...

यश चोपड़ा द्वारा निर्देशित पहली फ़िल्म धूल का फूल

धूल का फूल (Dhool Ka Phool) एक भारतीय फिल्म है जो 1959 में रिलीज़ हुई थी। यह फिल्म यश चोपड़ा ने निर्देशित की थी...

जॉनी वॉकर से जुड़े कुछ रोचक तथ्य

जॉनी वॉकर एक प्रसिद्ध भारतीय अभिनेता और हास्य अभिनेता थे जिन्होंने भारतीय फिल्म उद्योग में महत्वपूर्ण योगदान दिया। यहां उनके बारे में कुछ कम...

कादर ख़ान को पहली फ़िल्म कैसे मिली

फिल्म उद्योग में कादर खान की यात्रा का आरंभ अभिनय के माध्यम से नहीं बल्कि एक लेखक के रूप में उनकी उल्लेखनीय प्रतिभा...

“वो कौन थी के बारे में कुछ रोचक तथ्य

"वो कौन थी?" एक भारतीय फिल्म है जो 1964 में रिलीज़ हुई थी।इस फ़िल्म के बारे में कुछ रोचक तथ्य निम्न है...

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"लंदन से आया है बाबू छैला" गाने की रिहर्सल...
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