भारतीय फिल्मों के शुरुआती दौर से अब तक फिल्मों के प्रचार करने का तरीका वक्त वक्त पर बदलता रहा। शुरआती दौर में गांव कस्बों में जा जाकर एक आदमी बैलगाड़ी जैसे साधन पर निकलता और भोंपू से बोल बोलकर फिल्म का नाम, टिकट का दाम, सिनेमा और शो टाइमिंग के बारे में बताता। कई बार ढोल नगाड़े के साथ ऐसा प्रचार किया जाता ।
फिर दौर बदला और फिल्मों के पोस्टर के साथ एक फिल्म से जुड़ी कुछ पंक्तियां लिखी जाती थी जिससे जनता को वो फिल्म देखने के उत्सुकता जागे। प्राण साहब की एक फिल्म जंगल में मंगल आई तो उस फिल्म के पोस्टर पर लिखा रहता था प्राण,प्राण,प्राणी क्योंकि फिल्म में प्राण साहब ने तीन अलग अलग किरदार निभाए थे।
ऐसा ही कुछ 1975 की रिलीज फिल्म प्रतिज्ञा के लिए भी किया गया। फिल्म के निर्माता चाहते थे कि फिल्म का प्रचार कुछ अलग तरह से किया जाए। क्योंकि फिल्म का नायक धर्मेंद्र छोटे से कस्बे में जाता है इसलिए गांव कस्बे के लोगो को आकर्षित करने के लिए अखबार में फिल्म के विज्ञापन के साथ ये लिखा गया कि “पूरे गांव के महिला ने तो अजीत को राखी बांधी लेकिन राधा ने नही बांधी, क्यों ?”l जानने के लिए देखिए प्रतिज्ञा।”
इस विज्ञापन का असर ये हुआ कि गांव कस्बे के लोगो मे ये जिज्ञासा जाग उठी कि सब लोगो ने राखी बांधी लेकिन राधा ने क्यों नहीं बांधी। ये जानने का असर ये हुआ कि गांव कस्बों में जिधर भी ये फिल्म लगी उधर इसे देखने के लिए भीड़ उमड़ पड़ी । फिल्म जब रिलीज हुई तो हो गई सुपर डुपर हिट।