1986 में निर्देशक एन चंद्रा अपनी पहली फिल्म बना रहे थे, अंकुश। फिल्म का बजट भी काफी कम था, सिर्फ 12 लाख रुपए। इसलिए निर्देशक एन चंद्रा ने लगभग सभी ऐसे कलाकारों को फिल्म के लिए चयन किया जो फिल्मों में काम करने के लिए संघर्ष कर रहे थे। उन्होंने नाना पाटेकर को भी ऐसे ही इस फिल्म के लिए साइन किया जो फिल्म की तलाश में थे। नाना को उन्होंने 10 हजार रुपए में साइन किया जिसके 3 हजार फिल्म की शूटिंग शुरू होने से पहले दे दिए और बाकी 7 हजार फिल्म की शूटिंग के बाद देने की बात हुई , वो भी तब अगर फिल्म डिस्ट्रीब्यूटर्स ने खरीद ली तो, वरना वो 7 हजार भी नही मिलेंगे । क्योंकि फिल्म को कहानी अच्छी थी इसलिए नाना पाटेकर जी जान लगाकर फिल्म की शूटिंग करने लगे, लेकिन कुछ दिन बाद फिल्म की शूटिंग रोकनी पड़ी क्योंकि निर्माता के पास सब पैसे खत्म हो गए थे। 2 लाख रुपए की जरूरत थी फिल्म को पूरा करने के लिए। उस वक्त नाना पाटेकर की एक चाहत थी की जब फिल्म पूरी हो जाए तो उनके जो 7 हजार रुपए मिलेंगे वो उन पैसों का एक स्कूटर खरीदेंगे, ये बात उन्होंने निर्देशक एन चंद्रा को भी बता रखी थी। जब कहीं से फिल्म के लिए 2 लाख रुपए का इंतजाम नहीं हुआ तो नाना पाटेकर ने एक बहुत बड़ा फैसला किया। उन्होंने अपना घर गिरवी रख कर 2 लाख रुपए फिल्म निर्माता को दे दिए। फिल्म जब बनकर तैयार हुई और रिलीज हुई तो हिट हो गई। तब निर्देशक एन चंद्रा ने 2 लाख रुपए देकर नाना पाटेकर का न सिर्फ घर छुड़वाया बल्कि उनके 7 हजार रुपए भी दिए और साथ में दिया एक तोहफा। एक चमचमाता हुआ नया स्कूटर ।