1989 में निर्देशक पंकज पराशर एक फिल्म बना रहे थे, चालबाज। इस फिल्म को लेकर श्रीदेवी बहुत उत्साहित थी क्योंकि उनको पहली बार डबल रोल करने का मौका मिल रहा था। इस फिल्म में एक गीत था “न जाने कहां से आई है, न जाने कहां को जाएगी ये लड़की”। इस गीत को बारिश में शूट करने के लिए एक भव्य सेट बनाया गया, गीत गाया कविता कृष्णमूर्ति ने और ये गीत की नृत्य निर्देशक थी सरोज खान । गाने की दो दिन में शूट किया जाना था। पहले ही दिन श्रीदेवी बुरी तरह से पानी में भीग गई और शाम होते होते उन्हें सर्दी ने जकड़ लिया। अगले दिन उनको सनी देओल के साथ ये गाना शूट करना था लेकिन जब वो सेट पर आई तो उनको करीब 103 डिग्री बुखार था। निर्देशक पंकज पराशर ने उनकी हालत देखकर कहा की शूटिंग कैंसल कर देते है लेकिन श्रीदेवी ने इसके लिए मना कर दिया और कहा कि अगर शूटिंग कैंसल ही करनी होती तो मैं सेट पर आती ही क्यों। इस तरह श्रीदेवी ने ये गीत पूरे जोश के साथ बारिश में भीगते हुए करीब 103 डिग्री बुखार में 8 घंटे शूटिंग करते हुए शूट किया। हर किसी ने श्रीदेवी की हिम्मत की दाद थी। ये अलग बात है कि इस गाने की शूटिंग के बाद श्रीदेवी हफ्तों तक बीमार पड़ी रही। लेकिन श्रीदेवी को अपनी इस कुर्बानी का इनाम भी मिला । इसी गाने के लिए नृत्य निर्देशिका सरोज खान को बेस्ट कोरियोग्राफ़ी के लिए और इसी फिल्म के लिए श्रीदेवी को बेस्ट एक्ट्रेस का फिल्मफेयर अवार्ड भी मिला।