डॉo राही मासूम रज़ा को फ़िल्म निर्माता व निर्देशक बी०आर० चोपड़ा ने “महाभारत” टी०वी० सीरियल की पटकथा ( STORY SCRIPT ) लिखने को कहा।
राही मासूम रज़ा ने इनकार कर दिया। दूसरे दिन यह ख़बर न्यूज़ पेपर में छप गयी।
हज़ारों लोगों ने चोपड़ा साहब को ख़त लिखा कि :— एक मुसलमान ही मिला “महाभारत” लिखवाने के लिए ?
चोपड़ा साहब ने सारे ख़तों को राही मासूम रज़ा के पास भिजवा दिया।
ख़तों के ज़खीरे को देखने के बाद राही मासूम रज़ा ने चोपड़ा साहब से कहा कि — अब तो मैं ही लिखूँगा “महाभारत” की पटकथा , क्योंकि मैं गंगा का पुत्र हूँ।
राही मासूम रज़ा ने जब टी०वी० सीरियल “महाभारत” की पटकथा लिखी तो उनके घर में ख़तों के अंबार लग गए। लोगों ने डॉ० राही मासूम रज़ा की ख़ूब तारीफें की एवं उन्हें ख़ूब दुआएँ दी।
ख़तों के कई गट्ठर बन गए , लेक़िन एक बहुत छोटा सा गट्ठर उनकी मेज़ के किनारे सब ख़तों से अलग पड़ा था।
उनकी मेज़ के किनारे अलग से पड़ी हुई ख़तों की सबसे छोटी गट्ठर के बारे में वज़ह पूछने पर राही मासूम रज़ा साहब ने ज़वाब दिया कि — ये वह ख़त हैं जिनमें मुझे गालियाँ लिखी गयी हैं।
कुछ हिंदू इस बात से नाराज़ हैं कि तूम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुसलमान होकर “महाभारत” की पटकथा लिखने की ?
कुछ मुसलमान नाराज़ हैं कि तुमने हिंदुओं की क़िताब को क्यूँ लिखा ?
राही साहब ने कहा :– ख़तों की यही सबसे छोटी गट्ठर दरअसल मुझे हौसला देती है कि मुल्क में बुरे लोग कितने कम हैं”।
याद रखने की बात ये है कि :-
आज़ भी नफ़रत फ़ैलाने वालों की “छोटी गट्ठर” हमारे प्यार -मोहब्बत के “बड़े गट्ठर” से बहुत छोटी है।