हिंदी सिनेमा के पटल पर कई सितारे अवतरित होते है कुछ तो चमकते रहते हैं पर कुछ समय के साथ कही गुम हो जाते है आज हम बात करेंगे एक ऐसे ही सितारे विजय अरोड़ा के बारे मे
आप का जन्म 27 दिसंबर 1944 को गुजरात के गांधीधाम् मे हुआ था पढ़ाई पूरी करने के बाद ये 1969 मे ये अपने बचपन के शोक अभिनय मे हाथ आजमाने मुंबई आ गये इनका प्रारंभिक दौर काफी संघर्षपूर्ण रहा ये कई स्टूडिओस के चक्कर लगा रहे थे पर इन्हे कही काम नहीं मिल रहा था। लोग कहते थे की दिखने मे तो ठीक ठाक हो पर अभिनय मे दम नही है फिर एक दोस्त के सुझाव पर इन्होने फिल्म अंड टेलीविज़न इंस्टिट्यूट पुणे मे दाखिला लिया फिर 2 साल बाद 1971 ये FTTI से गोल्ड़ मैडलिस्ट के रूप मे बाहर निकले।फिर उसी के अगले साल इन्हे एक बड़ा ब्रेक मिला फिल्म ज़रूरत के रूप मे जिसे मशहूर फिल्म्कार B R Ishara बना रहे थे जो हाल ही मे फिल्म चेतना की सफलता के कारण चर्चा मे थे । यह फिल्म मशहूर अदाकारा रीना रॉय की भी पहली फिल्म थी । पर फिल्म टिकट खिड़की पर अधिक करिश्मा ना दिखा सकी। पर विजय अरोड़ा की गाड़ी चल निकली इसी वर्ष इनकी तीन ओर फिल्मे प्रदर्शित हुई राखी ओर हथकड़ी , मेरे भैया ,सबसे बड़ा सुख पर दुर्भाग्यवश इनमे से कोई फिल्म सफल नही रही जिससे फिल्म्कारों का इन पर से विश्वास डोलने लगा। पर अगले ही साल 1973 मे वो फिल्म आई जिसने इनकी किस्मत की बाज़ी ही पलट दी । फिल्म थी यादो की बारात जिसमे इनके सह कलाकार थे धर्मेंद्र जीनत अमान व तारिक़ इस फिल्म में इन पर फिल्माये गीत मेरी सोनी मेरी तमन्ना व चुरा लिया है तुमने आज भी कालजयी गीतों में शामिल है। फिर इसी साल बड़े सितारों से सज़ी फिल्म फागुन आई जिसमे इनके साथ धर्मेंद्र जया भदूरी वहीदा रहमान जैसे बड़े सितारे थे।
इन्होने अपने दौर की लगभग सभी बड़ी अभिनेत्रियों के साथ अभिनय किया चाहे वो जया बच्चन वहीदा रहमान, आशा पारेख तनूजा जीनत अमान माला सिन्हा हो सभी के साथ इनकी जोड़ी लाजवाब रही।
विन्दिया गोस्वामी की पहली फिल्म जीवन ज्योति इनकी पहली सोलो हिट फिल्म रही फिर मौसमी चैटर्जी के साथ नाटक भी इनकी सोलो हिट रही । एक बार राजेश खन्ना ने कहा था की अगर उनके बाद कोई पंजाबी मुड़ा धूम मचाएगा तो वो विजय अरोरा ही होंगे। पर अफ़सोस ऐसा हो ना सका।
पर इतना काम करने के वाबजूद ये फिल्मी राजनीति में ना रंग सके इसी कारण मीडिया से अपेक्षित रहे जिसके फलस्वरूप मुख्य नायक के रूप में इनका करियर लम्बा ना चल सका। 80 के दशक से उन्होंने चरित्र भूमिकाओं की ओर रुख किया जिनमे उनकी बड़े दिलवाला,दिल ओर दिवार,मेरी आवाज़ सुनो उल्लेखनीय फिल्मे है। फिर इन्होने टेलीविज़न का रुख किया जहा उन्होंने विक्रम वेताल ओर दादा दादी की कहानिया धारावाहिको में विविध भूमिकाए की । फिर सन 1987 में आया रामायण जिसके परिणाम स्वरुप यह घर घर में रावण पुत्र मेघनाथ के रूप में प्रसिद्ध हो गये। रामायण के बाद ये श्याम बेनेगल के चर्चित धारावाहिक भारत एक खोज में मुग़ल बादशाह ज़हांगीर के रूप में नज़र आए। इसके बाद ये कई धारावाहिको में नज़र आए
अब बात करे इनके निजी जीवन की तो इन्होने उस जमाने की मशहूर मॉडल दिलवर देवरा से विवाह किया जो पारसी समुदाय से आती है। इनके पुत्र फरहद अरोरा आज मुंबई में फेरारी जैसी महंगी गाड़ियों की मार्केटिंग ओर प्रमोशन का काम देखते है। फिल्मो से सन्यास के बाद इन्होने प्रॉडक्शन कंपनी शुरु की जिसके तहत इन्होने कुछ विज्ञापन फिल्मो का निर्माण किया ओर एक तारा नाम के एक धारावाहिक का निर्माण किया।इन्होने एक अभिनय विधालय भी प्रारम्भ किया था। परन्तु जीवन के अंतिम समय में ये फिल्म जगत में होने वाली राजनीति के कारण दुखित थे जिसके फलस्वरूप ये आंतो के कैंसर से ग्रसित हो गए जिसके कारण मात्र 62 वर्ष की अवस्था मे 2 फरबरी इनका मुंबई में निधन हो गया। इनके निधन के समय फिल्म जगत का कोई सितारा इनके साथ नही था।
आज उनके जन्मदिन के शुभ अवसर पर इस महान कलाकार को प्रणाम करते है।
लेख ःPraval Deep