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चेतन आनंद,एक काबिल निर्देशक जिन्होंने देवआनंद की कई सफल फ़िल्मों को निर्देशित किया (जन्मदिवस 3 जनबरी पर विशेष)


हिंदी सिनेमा मे इतिहास मे ऐसा कम ही हुआ है की भाईयो की जोड़िया बहुत सफल रही हो खास तौर से 3 भाइयो मे तो ऐसा बहुत कम रहा है राज कपूर, शम्मी कपूर शशि कपूर के अतिरिक्त अगर कोई दूसरा परिवार याद आता है जहाँ तीनो भाई सफल रहे हो तो वह केवल आनंद बंधु रहे जिनमे चेतन आनंद जहाँ निर्माण व निर्देशन मे सफल रहे वही देव आनंद ने अभिनय के क्षेत्र मे विशेष स्थान प्राप्त किया तथा विजय आनंद ने भी निर्देशक के रूप मे सफल पारी खेली
आज हम बात करने जा रहे है इसी तिकड़ी के सबसे बड़े भाई चेतन आनंद के विषय मे
चेतन आनंद का जन्म 3 जनबरी 1921 को लाहौर मे हुआ था इनके पिता पिशोरी लाल आनंद का नाम् लाहौर के मशहूर वकीलों मे शुमार था । ये 9 भाई बहनो मे तीसरे नंबर के थे। इनका परिवार गांधीबाद से प्रभाबित था इनके बड़े भाई मनमोहन आनंद ने तो गांधीजी के साथ सत्याग्रह आंदोलन मे हिस्सा भी लिया था। तथा बाद मे वह विधायक भी निर्वाचित हुए थे।गांधीबाद की छाप कही ना कही चेतन आनंद पर भी थी उनकी फिल्म नीचा नगर मे इसकी छाप दिखाई भी देती है। चेतन ने थिएटर मे भी काम किया था तथा वह राष्ट्रीय कोंग्रेस के भी सक्रिय सदस्य रहे थे।
40 के दशक मे उन्होंने इतिहास के प्रोफेसर के रूप मे भी अपनी सेवाए प्रदान की इसी दौरान इन्होने सम्राट अशोक के जीवन पर एक पटकथा तैयार की तथा उसे लेकर मशहूर निर्देशक फनी मज़ूमदार के पास पहुँचे पर उस पर बात आगे ना बड़ सकी पर फनी मज़ूमदार के साथ इनके अच्छे संबंध हो गये थे इन्होने इंडियन सिविल सर्विसेज की तैयारी भी की थी ओर इनका लक्ष्य भी ICS बनने का ही था पर सफल ना हो सके तब फनी मज़ुमदार ने इन्हे अपनी फिल्म राजकुमार मे बतौर नायक ले लिया फिल्म सफल ना हो सकी यह मशहूर नाट्य संस्था IPTA के सक्रिय सदस्य भी थे।
इसी बीच इनका रुझान निर्माण ओर निर्देशन की और हुआ 1946 मे इन्होने नीचा नगर नमक फिल्म का निर्माण व निर्देशन किया फिल्म समीक्षकों द्वारा काफी सराही गयी फिल्म कई कारणों से उल्लेखनीय रही इस फिल्म से मशहूर अभिनेत्री कामिनी कौशल व प्रसिद्ध सितार वादक पंडित रविशंकर ने फिल्म ज़गत मे पदार्पर्ण किया । इस फिल्म को 1946 मे ही कांस फिल्म फेस्टिवल मे बेस्ट फिल्म का सम्मान प्राप्त हुआ तथा Plam E Dor की उपाधी प्राप्त हुई।
50 के दशक मे देवानंद फिल्म ज़गत मे एक बड़ा नाम बन गये थे तथा विजय आनंद भी अपनी फिल्मी पारी की शुरुआत कर चुके थे तब आनंद बंधुओ ने नवकेतन फिल्म्स की स्थापना की जो चेतन के पुत्र केतन के नाम पर था इन्होने देव आनंद व सुरैया को लेकर फिल्म अफसर का निर्माण किया जो की सफल रही थी इसके बाद इन्होने टैक्सी ड्राइवर व आँधिया नामक फिल्मो का निर्माण व निर्देशन किया
बाद में इन्होने हिमालय फिल्म्स नामक बैनर की स्थापना की जहाँ इनकी एक मज़बूत टीम बनी जिसमे संगीतकार मदन मोहन गीतकार कैफ़ी आज़मी छायाकर जाल मिस्त्री व अभिनेत्री प्रिया राजवंश शामिल थे इस टीम ने बाद मे हक़ीक़त,हीर रांझा,हँसते ज़ख्म,हिंदुस्तान की कसम जैसी कालजयी फिल्मे दी।
चेतन आनंद को पहली भारतीय युद्ध फिल्म हक़ीक़त बनाने कर श्रेय भी जाता है हक़ीक़त फिल्म का गीत कर चले हम फ़िदा जानो तन साथियो के बिना भी कोई भी राष्ट्रीय पर्व अधूरा सा महसूस होता है।
चेतन आनंद ने ही भारतीय सिनेमा के पहले सुपर स्टार राजेश खन्ना की प्रतिभा को एक अभिनय प्रतियोगिता मैं सर्वप्रथम परखा था तथा अपनी फिल्म आखिरी खत मे उन्हे बतौर अभिनेता पहला मौका दिया था पर निर्माण मे कुछ बिलम्ब के कारण जी पी सिप्पी की राज फिल्म राजेश खन्ना की प्रथम प्रदर्शित फिल्म रही बाद मै जब राजेश खन्ना सफल हुए तब इन्होने फिर उन्हे कुदरत फिल्म मे निर्देशित किया।
1967 मे आखिरी खत ऑस्कर के लिए प्रबल दावेदार मानी जा रही थी पर दुर्भाग्य से ऑस्कर मे इसका प्रिंट पहुंचने मे बिलम्ब के कारण फिल्म ऑस्कर से बाहर हो गई।
अब बात करे इनके निजी जीवन की तो इनका विवाह 1943 मे उमा आनंद के साथ हुआ था पर ये विवाह अधिक समय तक ना चल सका ओर ये अलग हो गए फिर इनके साथ काम करने बाली अभिनेत्री प्रिया राजवंश से इनके प्रगाड़ सम्बन्ध हो गये तथा ये साथ रहने लगे । इनके बारे मे एक कहानी यह भी प्रचलित है की ये फिल्म गाइड का निर्देशन करने वाले थे पर वहिदा रहमान के स्थान पर ये प्रिया राजवंश को लेना चाहते थे पर देव आनंद इस रोल के लिए ऐसी अभिनेत्री चाहते थे जो विशुद्ध भारतीय लगने के साथ कुशल नृत्यांगना भी हो जो खूबिया प्रिया मे नही थी इसी वैचारिक मतभेद के कारण निर्देशन की कमान विजय आनंद की सौपी गयी।
आखिरी बार इन्होने 1986 कि फिल्म हाथो की लकीरें का निर्देशन किया तथा दूरदर्शन के लिए सफल श्रृंखला परमवीर चक्र का भी निर्माण व निर्देशन किया।


प्रसिद्ध फिल्म निर्देशक शेखर कपूर इनके भांजे है।
चेतन आनंद का निधन 6 जुलाई 1997 को मुंबई मे हुआ
आज उनकी 102 वी जयंती पर इस महान फिल्मकार को श्रद्धा सुमन अर्पित करते है।

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